आंध्र में गूंज रहा जगन का नारा, टीडीपी के वोट काट सकती है जनसेना


विशाखापत्तनम (अमित कुमार निरंजन).विशाखापत्तनम नेवी के बेस कैंप और स्टील प्लांट के लिए मशहूर है। यहां से 80 किमी दूर अलकापल्ली जिले के मनक्का गांव के महालक्ष्मी नायडू की कहानी इस विकास से मेल नहीं खाती। उसका परिवार एक दशक से गुड़ बनाता है। तपती भट्‌टी के सामनेे नायडू परिवार दिन भर में करीब सौ किलो गुड़ बनाता है। यह गांव में 35 से 40 रुपए किलो बिकता है, जबकि शहर में 60 से 70 रुपए। लागत और मेहनत के आगे मुट्‌ठी भर का मुनाफा। नाराज़गी आंखों में भी है और जुबान पर भी। इस बार जगनमोहन रेड्‌डी को मौका देने की बात हो रही है। अराकू, श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली, काकीनाडा, अमलापुरम, राजहंडरी, नरसापुरम और एलुरू क्षेत्र में एक बार जगन को मौका देने का मुद्दा है।

आंध्र के उत्तरी इलाके को समझने के लिए अनाकापल्ली के राजनीतिक विशेषज्ञ बालू गाडी से बात की। बालू कहते हैं- यहां जगन ने नारा दिया- ‘रावाली जगन कावाली जगन’ यानी जगन होना है, जगन अाना है। नारा असर कर रहा है। उन्होंने बताया कि टीडीपी के भाजपा से अलग होने के बाद ही वाईएसआर ने एक बार मौका देने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। उत्तरी इलाका कोपू वोट के कारण वायएसआर का गढ़ है और कोपू वाेट अहम फैक्टर है। कोपू बिरादारी में थुर्प काेपू वोट ओबीसी में है और यह इलाके में करीब 40% है। यह वायएसआर के वोट माने जाते हैं। इसी बिरादरी का दूसरा हिस्सा सामान्य वर्ग में आता है और इन्हें बलिजर कोपू और तेलगा कोपू के नाम से जाना जाता है। यह पवन कल्याण की जनसेना के साथ माना जा रहा है।

कुल कोपू वोट में इनकी संख्या करीब 60% है। पवन कल्याण तेलुगू सिने स्टार चिरंजीव के भाई हैं। पिछली बार टीडीपी और भाजपा ने साथ चुनाव लड़ा था और पवन कल्याण ने प्रचार किया था। अब पवन कल्याण अपनी पार्टी जनसेना लेकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अकेले उतरे हैं। भाजपा और टीडीपी भी अलग लड़ रहे हैं। इसका नुकसान टीडीपी को हो सकता है। जनसेना टीडीपी का वोट काटेगी। दलित वोट सीधे वाईएसआर से जुड़े हैं। हवा का रुख भांपते हुए इलाके के 10 टीडीपी सांसदों में से तीन मुत्तासेट्‌टी श्रीनिवास रॉय, पंडूला रवींद्र बाबू, थोटा नरसिंहा ने पाला बदलकर वाईएसआर ज्वॉइन कर ली। नरसापुरम के भाजपा सांसद एम गोकंतंरन गंगा राजू ने तो चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया है। हालांकि पदयात्रा के दौरान जगनमोहन के सामान्य कोपू को ओबीसी का दर्जा देने का मुद्दा नकारने से नुकसान की उम्मीद भी लगती है।

एक दशक से इलाके की पॉलिटिकल रिपोर्टिंग कर रहे विशाखापत्तनम के राजनीतिक संवाददाता एन मधु सुदंनराव ने बताया जनता ने चंद्रबाबू को मौका देकर देख लिया, वो सफल नहीं हो पाए, डैमेज कंट्रोल के लिए केंद्र में भाजपा से समर्थन वापस ले लिया। इसी का फायदा वाईएसआर उठा रही है। उनकी एक बार मौका देने की अपील असर कर सकती है। टीडीपी नेता घबरा रहे हैं और पाला बदल वाईएसआर जॉइन कर रहे हैं।

अराकू रिजर्व सीट है। यहां 25% कोपू वोट हैं। फिलहाल यहां वाईएसआर मजबूत दिख रही है। पवन कल्याण इस चुनाव में जनसेना के साथ हैं। ऐसे में टीडीपी को काेपू वोट नहीं मिलेगा। श्रीकाकुलम सीट पर 1967 का चुनाव छोड़ दें तो यह हमेशा टीडीपी या कांग्रेस के पास ही रही है। 1967 में यहां स्वतंत्र पार्टी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। टीडीपी का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर किसानों की आबादी ज्यादा है। करीब 30% वोट किसानों के हैं।

विशाखापत्तनम और विजयनगरम सीट का मिजाज मिलता-जुलता है। दोनों जगह अधिकतर वोटर शहरी हैं। पिछली बार यहां भाजपा-टीडीपी गठबंधन जीता था। इस बार माहौल अलग है। वाईएसआर यह संदेश देने में कामयाब हो रही है कि भाजपा से जुड़कर टीडीपी ने गलत फैसला किया और वह आंध्रप्रदेश को स्पेशल पैकेज भी नहीं दिलवा पाई। विशाखापत्तनम में अवैध कब्जे का मामला भी मुद्दा है। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक करीब 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है। इसे लेकर धरने- प्रदर्शन भी हो चुके हैं। इस नाराजगी का फायदा वायएसआर को मिल सकता है। अनाकापल्ली में देखें तो कोई क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है। लेकिन टीडीपी को नुकसान नजर आ रहा है। टीडीपी सांसद मुत्तासेट्‌टी श्रीनिवास रॉय वायएसआर में शामिल हो गए हैं। सांसद कोपू समुदाय से हैं। ऐसे में यह वोट टीडीपी से छिन सकता है।

काकीनाडा और अमला पुरम का मिजाज एक जैसा है। दोनों सीट पिछली बार टीडीपी ने जीती थीं। लेकिन दोनों ही सांसदों ने वाईएसआर जॉइन कर ली। उधर, गोदावरी के किनारे स्थित है राजहंडरी सीट। नदी किनारे होकर भी यहां पानी बड़ा मुद्दा है। पांच सालों में टीडीपी वादा पूरा नहीं कर पाई है। वायएसआर इसी मुद्दे को उछाल रही है। नरसापुरम और एलुरू पर पिछली बार भाजपा और टीडीपी साथ थे। नरसापुरम भाजपा ने एलुरु टीडीपी ने जीती थी। इस बार नरसापुरम से उद्योगपति रघुराज रामन वायएसआर के उम्मीदवार होंगे। यहां 30% थिरपू कोपू वोट में वायएसआर की पैठ होने से रामन को फायदा मिल सकता है। एलुरू में भी वायएसआर कोपू वोट का फायदा ले सकती है।

उत्तर आंध्र उत्तरांदा के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरांदा का सफर खत्म हो चुका था और बिलासपुर से आ रही ट्रेन (ट्रेन नं 17481, रायपुर तिरुपति बिलास एक्सप्रेस) हमें अगले पड़ाव विजयवाड़ा की ओर ले जाने वाली थी। ट्रेन में काकीनाडा के संपत्त राव सफर कर रहे थे। आईटी प्रोफेशनल संपत्त ने इलाके का मिजाज बताना शुरू किया। उनके मुताबिक जनता यह सोच रही है कि चंद्रबाबू ने भले ही अच्छा काम किया हो, लेकिन एक मौका वाईएसआर को देना चाहिए। संपत्त बोले- नोटबंदी ने यहां सबसे ज्यादा तकलीफ दी है। हो सकता है यही तकलीफ वोटर अब मोदी को दे दे।

यूं समझें इन दस सीटों का चुनावी गणित

  • मुद्दे : स्थानीय मुद्दों के अलावा सिर्फ दो मुद्दे प्रभावी। पहला चंद्रबाबू नायडू प्रदेश की भलाई के लिए भाजपा का साथ छोड़ने का हवाला दे रहे हैं। दूसरा वाईएसअार के जगनमोहन रेड्‌डी एक बार मौका देने की भावुक अपील कर रहे हैं।
  • गठबंधन : मुकाबला बहुकोणीय है। टीडीपी और भाजपा इस बार अलग हैं। टीडीपी और कांग्रेस एक-दूसरे को सपोर्ट कर सकती हैं। माना जा रहा है कि चुनाव बाद वाईएसआर और भाजपा साथ आएंगे। जनसेना, बीएसपी और सीपीआई गठबंधन टीडीपी के वोट काटेगा।
  • जातीय समीकरण: माना जा रहा है कि सामान्य वर्ग का कोपू वोट जनसेना के साथ है। पिछली बार यह टीडीपी-भाजपा गठबंधन के साथ था। इस बार यह वोट बंट सकता है। पिछड़ा कोपू वर्ग और दलित वोट वाईएसआर से जुड़े है।
  • पिछली बार की स्थिति:टीडीपी-भाजपा गठबंधन ने दस में से 9 सीट जीती थीं। वाईएसआर के खाते एक सीट थी।

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Junk is echoing in Andhra, Jagan is coming, Jagan is coming …

आंध्र में गूंज रहा जगन का नारा, टीडीपी के वोट काट सकती है जनसेना


विशाखापत्तनम (अमित कुमार निरंजन).विशाखापत्तनम नेवी के बेस कैंप और स्टील प्लांट के लिए मशहूर है। यहां से 80 किमी दूर अलकापल्ली जिले के मनक्का गांव के महालक्ष्मी नायडू की कहानी इस विकास से मेल नहीं खाती। उसका परिवार एक दशक से गुड़ बनाता है। तपती भट्‌टी के सामनेे नायडू परिवार दिन भर में करीब सौ किलो गुड़ बनाता है। यह गांव में 35 से 40 रुपए किलो बिकता है, जबकि शहर में 60 से 70 रुपए। लागत और मेहनत के आगे मुट्‌ठी भर का मुनाफा। नाराज़गी आंखों में भी है और जुबान पर भी। इस बार जगनमोहन रेड्‌डी को मौका देने की बात हो रही है। अराकू, श्रीकाकुलम, विजयनगरम, विशाखापत्तनम, अनाकापल्ली, काकीनाडा, अमलापुरम, राजहंडरी, नरसापुरम और एलुरू क्षेत्र में एक बार जगन को मौका देने का मुद्दा है।

आंध्र के उत्तरी इलाके को समझने के लिए अनाकापल्ली के राजनीतिक विशेषज्ञ बालू गाडी से बात की। बालू कहते हैं- यहां जगन ने नारा दिया- ‘रावाली जगन कावाली जगन’ यानी जगन होना है, जगन अाना है। नारा असर कर रहा है। उन्होंने बताया कि टीडीपी के भाजपा से अलग होने के बाद ही वाईएसआर ने एक बार मौका देने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। उत्तरी इलाका कोपू वोट के कारण वायएसआर का गढ़ है और कोपू वाेट अहम फैक्टर है। कोपू बिरादारी में थुर्प काेपू वोट ओबीसी में है और यह इलाके में करीब 40% है। यह वायएसआर के वोट माने जाते हैं। इसी बिरादरी का दूसरा हिस्सा सामान्य वर्ग में आता है और इन्हें बलिजर कोपू और तेलगा कोपू के नाम से जाना जाता है। यह पवन कल्याण की जनसेना के साथ माना जा रहा है।

कुल कोपू वोट में इनकी संख्या करीब 60% है। पवन कल्याण तेलुगू सिने स्टार चिरंजीव के भाई हैं। पिछली बार टीडीपी और भाजपा ने साथ चुनाव लड़ा था और पवन कल्याण ने प्रचार किया था। अब पवन कल्याण अपनी पार्टी जनसेना लेकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अकेले उतरे हैं। भाजपा और टीडीपी भी अलग लड़ रहे हैं। इसका नुकसान टीडीपी को हो सकता है। जनसेना टीडीपी का वोट काटेगी। दलित वोट सीधे वाईएसआर से जुड़े हैं। हवा का रुख भांपते हुए इलाके के 10 टीडीपी सांसदों में से तीन मुत्तासेट्‌टी श्रीनिवास रॉय, पंडूला रवींद्र बाबू, थोटा नरसिंहा ने पाला बदलकर वाईएसआर ज्वॉइन कर ली। नरसापुरम के भाजपा सांसद एम गोकंतंरन गंगा राजू ने तो चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया है। हालांकि पदयात्रा के दौरान जगनमोहन के सामान्य कोपू को ओबीसी का दर्जा देने का मुद्दा नकारने से नुकसान की उम्मीद भी लगती है।

एक दशक से इलाके की पॉलिटिकल रिपोर्टिंग कर रहे विशाखापत्तनम के राजनीतिक संवाददाता एन मधु सुदंनराव ने बताया जनता ने चंद्रबाबू को मौका देकर देख लिया, वो सफल नहीं हो पाए, डैमेज कंट्रोल के लिए केंद्र में भाजपा से समर्थन वापस ले लिया। इसी का फायदा वाईएसआर उठा रही है। उनकी एक बार मौका देने की अपील असर कर सकती है। टीडीपी नेता घबरा रहे हैं और पाला बदल वाईएसआर जॉइन कर रहे हैं।

अराकू रिजर्व सीट है। यहां 25% कोपू वोट हैं। फिलहाल यहां वाईएसआर मजबूत दिख रही है। पवन कल्याण इस चुनाव में जनसेना के साथ हैं। ऐसे में टीडीपी को काेपू वोट नहीं मिलेगा। श्रीकाकुलम सीट पर 1967 का चुनाव छोड़ दें तो यह हमेशा टीडीपी या कांग्रेस के पास ही रही है। 1967 में यहां स्वतंत्र पार्टी उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। टीडीपी का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर किसानों की आबादी ज्यादा है। करीब 30% वोट किसानों के हैं।

विशाखापत्तनम और विजयनगरम सीट का मिजाज मिलता-जुलता है। दोनों जगह अधिकतर वोटर शहरी हैं। पिछली बार यहां भाजपा-टीडीपी गठबंधन जीता था। इस बार माहौल अलग है। वाईएसआर यह संदेश देने में कामयाब हो रही है कि भाजपा से जुड़कर टीडीपी ने गलत फैसला किया और वह आंध्रप्रदेश को स्पेशल पैकेज भी नहीं दिलवा पाई। विशाखापत्तनम में अवैध कब्जे का मामला भी मुद्दा है। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक करीब 20 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है। इसे लेकर धरने- प्रदर्शन भी हो चुके हैं। इस नाराजगी का फायदा वायएसआर को मिल सकता है। अनाकापल्ली में देखें तो कोई क्षेत्रीय मुद्दा नहीं है। लेकिन टीडीपी को नुकसान नजर आ रहा है। टीडीपी सांसद मुत्तासेट्‌टी श्रीनिवास रॉय वायएसआर में शामिल हो गए हैं। सांसद कोपू समुदाय से हैं। ऐसे में यह वोट टीडीपी से छिन सकता है।

काकीनाडा और अमला पुरम का मिजाज एक जैसा है। दोनों सीट पिछली बार टीडीपी ने जीती थीं। लेकिन दोनों ही सांसदों ने वाईएसआर जॉइन कर ली। उधर, गोदावरी के किनारे स्थित है राजहंडरी सीट। नदी किनारे होकर भी यहां पानी बड़ा मुद्दा है। पांच सालों में टीडीपी वादा पूरा नहीं कर पाई है। वायएसआर इसी मुद्दे को उछाल रही है। नरसापुरम और एलुरू पर पिछली बार भाजपा और टीडीपी साथ थे। नरसापुरम भाजपा ने एलुरु टीडीपी ने जीती थी। इस बार नरसापुरम से उद्योगपति रघुराज रामन वायएसआर के उम्मीदवार होंगे। यहां 30% थिरपू कोपू वोट में वायएसआर की पैठ होने से रामन को फायदा मिल सकता है। एलुरू में भी वायएसआर कोपू वोट का फायदा ले सकती है।

उत्तर आंध्र उत्तरांदा के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरांदा का सफर खत्म हो चुका था और बिलासपुर से आ रही ट्रेन (ट्रेन नं 17481, रायपुर तिरुपति बिलास एक्सप्रेस) हमें अगले पड़ाव विजयवाड़ा की ओर ले जाने वाली थी। ट्रेन में काकीनाडा के संपत्त राव सफर कर रहे थे। आईटी प्रोफेशनल संपत्त ने इलाके का मिजाज बताना शुरू किया। उनके मुताबिक जनता यह सोच रही है कि चंद्रबाबू ने भले ही अच्छा काम किया हो, लेकिन एक मौका वाईएसआर को देना चाहिए। संपत्त बोले- नोटबंदी ने यहां सबसे ज्यादा तकलीफ दी है। हो सकता है यही तकलीफ वोटर अब मोदी को दे दे।

यूं समझें इन दस सीटों का चुनावी गणित

  • मुद्दे : स्थानीय मुद्दों के अलावा सिर्फ दो मुद्दे प्रभावी। पहला चंद्रबाबू नायडू प्रदेश की भलाई के लिए भाजपा का साथ छोड़ने का हवाला दे रहे हैं। दूसरा वाईएसअार के जगनमोहन रेड्‌डी एक बार मौका देने की भावुक अपील कर रहे हैं।
  • गठबंधन : मुकाबला बहुकोणीय है। टीडीपी और भाजपा इस बार अलग हैं। टीडीपी और कांग्रेस एक-दूसरे को सपोर्ट कर सकती हैं। माना जा रहा है कि चुनाव बाद वाईएसआर और भाजपा साथ आएंगे। जनसेना, बीएसपी और सीपीआई गठबंधन टीडीपी के वोट काटेगा।
  • जातीय समीकरण: माना जा रहा है कि सामान्य वर्ग का कोपू वोट जनसेना के साथ है। पिछली बार यह टीडीपी-भाजपा गठबंधन के साथ था। इस बार यह वोट बंट सकता है। पिछड़ा कोपू वर्ग और दलित वोट वाईएसआर से जुड़े है।
  • पिछली बार की स्थिति:टीडीपी-भाजपा गठबंधन ने दस में से 9 सीट जीती थीं। वाईएसआर के खाते एक सीट थी।

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