एनटीआर होते थे चैतन्य रथम से प्रकट, जनता हो जाती थी मुग्ध


29 मार्च 1982 का दिन।नंदमूरी तारक रामाराव यानी आंध्र के लोकप्रिय एनटीआर ने इसी दिन तेलुगु के सम्मान के मुद्दे पर तेलुगुदेशम पार्टी का गठन किया था। चुनाव इसी साल के आिखर में था। एनटीआर ने धुंआधार प्रचार शुरू किया। जरिया बना-चैतन्य रथम। यह देश के इतिहास की पहली रथयात्रा थी। शेवरले वैन को मॉडिफाई करवाकर रथ बनवाया गया था। फिल्मी स्टाइल में चारों ओर घूमने वाली फ्लड लाइट्स, माइक और स्पीकर के बीच जब एनटीआर भगवा पहनकर चैतन्य रथम के बीचों-बीच से निकलकर वैन के ऊपर आते थे तो आंध्र मुग्ध हो जाता था। एनटीआर रोज करीब डेढ़ सौ किमी सफर करते। खेतों में काम कर रहे लोगों से मिलते। रैलियां करते। एक दिन में सौ-सौ जगह रुकते। रथ ही उनका प्रचार कार्यालय, घर, मंच सबकुछ था। एनटीआर का इतना क्रेज था कि लोग 72-72 घंटे उनका इंतजार करते। एनटीआर जब आते तो महिलाएं उनकी आरती उतारतीं। एनटीआर ने 75 हजार किमी की यात्राएं की। चुनाव में एनटीआर को 294 में से 199 सीटें मिलीं। वे आंध्र के 10वें और पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।

सबसे चर्चित रही आडवाणी की राम रथ यात्रा

25 सितंबर 1990 को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने रामरथ यात्रा शुरू की। उद्देश्य सोमनाथ से अयोध्या तक रथ के जरिए जाना था। टोयोटा मिनी बस को रथ का रूप दिया गया। गुजरात, कर्नाटक, आंध्र और उत्तरप्रदेश में दंगे हो गए। रथयात्रा जब समस्तीपुर पहुंची तो आडवाणी को लालू यादव ने गिरफ्तार करवा लिया। रथ यात्रा ने भाजपा की सीटें 1991 के चुनाव में 85 से बढ़ाकर 120 तक पहुंचा दीं।

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Country’s first rath yatra