नई दिल्ली (हेमन्त अत्री).राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में दिए बयान पर अलीगढ़ के निर्वाचन अधिकारी की रिपाेर्ट चुनाव आयाेग काे मिल गई है। इस मामले में आयोग अगले सप्ताह काेई फैसला ले सकता है।
राज्यपाल के नाते कल्याण सिंह एक संवैधानिक पद पर हैं। ऐसे में चुनाव आयोग उनके बारे में कोई भी फैसला लेने से पहले रिपाेर्ट के हर पहलू और पिछले उदाहरणों का अध्ययन कर रहा है। संवैधानिक संस्था के नाते आयाेग के लिए संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के बारे में फैसला लेना कठिन है। संकेत हैं कि अलीगढ़ के निर्वाचन अधिकारी की रिपाेर्ट के अध्ययन के बाद आयोग कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति को लिख सकता है। कल्याण ने 23 मार्च को अलीगढ़ में मीडिया से बातचीत में कहा था कि सभी मोदी की जीत चाहते हैं। यह देश के लिए जरूरी है। हम सब भाजपा कार्यकर्ता हैं और इस नाते जरूर चाहेंगे कि भाजपा जीते और माेदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनें। जानकाराें के अनुसार संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल के बारे में इस तरह खुलकर बयान नहीं दे सकता। यह सीधे तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
हिमाचल के राज्यपाल को देना पड़ा था इस्तीफा
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन की सख्ती के चलते हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे गुलशेर अहमद को इस्तीफा देना पड़ा था। नवंबर 1993 में अहमद के बेटे ने मध्यप्रदेश के सतना से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था।राज्यपाल पर पद का दुरुपयाेग कर चुनाव में बेटे की मदद का आरोप लगा था। शेषन ने कड़ा रुख अपनाते हुए सतना में चुनाव ही स्थगित कर दिया था। इसके बाद गुलशेर को इस्तीफा देना पड़ा था। ऐसे ही एक मामले में चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित करने के पुड्डुचेरी के उपराज्यपाल के आदेश पर दो साल पहले आयोग ने महज इस आधार पर राेक लगा दी थी कि इसे लेकर आयोग से राय नहीं ली गई थी।
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