जेटली के फर्जी लेटरहेड और दस्तखत से हैदराबाद के व्यापारी से ठगे 20 करोड़ रुपए


नई दिल्ली (नीरज आर्या).भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के नाम पर 20 करोड़ रुपए ठगे जाने का एक मामला सामने आया है। इस जालसाजी के लिए बाकायदा वित्त मंत्रालय के लेटरहेड और वित्त मंत्री जेटली के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया। दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामले की शिकायत जनवरी में भेजी गई थी।

गहन छानबीन के बाद इस मामले में मार्च में आर्थिक अपराध शाखा ने विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया। पीड़ित मूलरूप से हैदराबाद का रहने वाला है। हालांकि, अभी तक हुई जांच में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। बेहद हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से पुलिस अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। लेकिन उनकी ओर से इस मामले की पुष्टि जरूर की गई है।

जनवरी में भेजी गई थी पुलिस आयुक्त को ठगी की शिकायत

ऐसे दिया अंजाम: वित्त मंत्रालय के अप्रूवल वाले 3 लेटर भेजे

तेलंगाना के हैदराबाद में रहने वाले तारकनाथ की मुलाकात 4 वर्ष पहले जगदीश बोलापति और प्रसाद कुरुपा राव बोलापति नाम के दो लोगों से हुई थी। दोनों ने तारक नाथ को बताया कि वे आईपीएमईओआरजी नाम के एक संस्थान से जुड़े हुए हैं और जल्द ही अमेरिका के टेक्सास स्थित एक संस्थान इंटरनेशनल प्रेशियस मेटल इंस्टीट्यूट के साथ डील कर 80 हजार करोड़ रुपए के एक प्रोजेक्ट की शुरुआत करने वाले हैं।

दोनों ने तारकनाथ को बताया कि इस प्रोजेक्ट में वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल अप्रूवल भी मिल गई है। जगदीश और प्रसाद ने तारकनाथ को भी इसमें शामिल होने का लालच दिया। दोनों ने तारक के पास वित्त मंत्रालय की अप्रूवल के 3 लेटर भी भेजे। ये लेटर बाकायदा वित्त मंत्रालय के लेटरहेड पर तैयार किए गए थे और इन पर अरुण जेटली के हस्ताक्षर भी थे। लेटर मिलने के बाद तारकनाथ ने दोनों के बताए अकाउंट में 20 करोड़ ट्रांसफर कर दिए।

ऐसे खुला राज:सच्चाई का पता लगाने को ओएसडी से संपर्क किया

20 करोड़ रुपए जमा करने के बाद तारकनाथ को एक अन्य लेटर वित्त मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर शंभू के नाम से मिला। उसमें 4 करोड़ रुपयों की मांग की गई। इस पर पीड़ित काे संदेह हुआ। सच्चाई का पता लगाने के लिए उसने वित्त मंत्रालय के ओएसडी से संपर्क किया। मेल कर तीनों लेटर भी भेज दिए। मंत्रालय में इन तीनों पत्रों की खबर से हड़कंप मच गया। न केवल वित्त मंत्री अरुण जेटली बल्कि सेक्शन ऑफिसर शंभू के हस्ताक्षर भी फर्जी मिले। इस मामले से वित्त मंत्रालय की ओर से गृह मंत्रालय को अवगत करवाया गया।

गृह मंत्रालय के सीआईएस डिवीजन ने अपने स्तर पर पड़ताल करने के बाद मामले को फर्जी पाया। इसके बाद पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को 11 जनवरी को शिकायत भेजी गई। लगभग 50 दिन की शुरुआती तहकीकात के बाद आर्थिक अपराध शाखा ने इस बाबत आईपीसी की धारा 420, 468, 471 व 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। मामले में शिकायतकर्ता सीआईएस डिवीजन में तैनात सेक्शन ऑफिसर केजी सन्नी बने हैं। पुलिस के अलावा इस केस की जांच आईबी को भी सौंपी गई है।

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Rs 20 crore cheat from businessman by Arun Jatley’s false letterhead and signature