जैसलमेर (विमल शर्मा/चंद्रप्रकाश पुरोहित).सरहदी जैसलमेर जिले में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने नजरें गड़ा दी है। पिछले कुछ सालों में दर्जनों जासूस पकड़े जा चुके हैं। अभी भी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी बाज नहीं आ रही है और लगातार युवाओं को रिझाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रही है।
हाल ही में खुफिया सूत्रों से जानकारी मिली है कि नाचना में कई वाट्सअप ग्रुपों से पाकिस्तान में वीडियो कॉलिंग हो रही है। इतना ही नहीं कई ग्रुपों में पाकिस्तानी सदस्य भी शामिल है। भास्कर ने इस मामले की पड़ताल की तो चौंकाने वाली स्थिति सामने आई। इस पड़ताल में ब्रेकिंग न्यूज नाम से एक ग्रुप का संचालन देखा गया। ग्रुप एडमिन तो नाचना के ही है। उसमें पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल है। इसके अलावा पाकिस्तानी नंबर से आए फोन का भी स्क्रीन शॉट है। इस मामले में सबसे बड़ी समस्या पाकिस्तानी मोबाइल कंपनियों का भारतीय सीमा में नेटवर्क आना है। स्थानीय युवाओं को झांसे में लेने के बाद उन्हें पाकिस्तान की लोकल सिमें मुहैया करवा दी जाती है और वे लोग नेटवर्क आने वाले स्थान पर जाकर उन सिमों से पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से संपर्क में रहते हैं।
एजेंसियों के पास 6-7 ग्रुपों की जानकारी
इस पड़ताल में सामने आया कि खुफिया एजेंसियों के पास भी ऐसे वाट्सअप ग्रुपों की जानकारी है। सूत्रों के अनुसार करीब 6-7 ग्रुप ऐसे हैं, जिनमें पाकिस्तानी सदस्य जुड़े हुए हैं और उनके माध्यम से वीडियो कॉलिंग भी हो रही है। इन ग्रुपों की जानकारी खुफिया एजेंसियों के पास है और उन पर नजर रखी जा रही है।
विशेष वर्ग के युवा सॉफ्ट टारगेट
भास्कर पड़ताल में सामने आया कि पाकिस्तान एजेंट खासतौर पर वर्ग विशेष के युवाओं को टारगेट बनाते हैं। ये युवा आसानी से उनके झांसे में आ रहे हैं और भारतीय सामरिक सूचनाएं उन तक पहुंचाना शुरू कर देते हैं। पूर्व में ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं।
पकड़े जा चुके हैं कई जासूस
- 2002 में रमजान पुत्र भाई खां व नूरे खां पुत्र भाई खां पकड़े गए।
- 2006 में बीकानेर में लाठी निवासी नूरे खां को पकड़ा था।
- 2013 में मौलवी अलाबक्श, माजिद खां व गुलाम रसूल जासूसी के आरोप में पकड़े गए थे।
- 2014 में पाक जासूस सुमार खां खुफिया एजेंसियों के हत्थे चढ़ा।
^पुलिस के पास जब भी इस तरह की सूचना आती है तो तत्काल कार्रवाई की जाती है। यदि इस तरह के वाट्सग्रुप संचालित हो रहे हैं तो तुरंत जांच करवाई जाएगी। – डॉ. किरण कंग, एसपी, जैसलमेर
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