भारत और अमेरिका ने फिर कहा- पाकिस्तान आतंकी संगठनों से सख्ती से निपटे


वॉशिंगटन.भारत और अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर पल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। दोनों देशों ने शुक्रवार को आतंकवाद के खिलाफ चर्चा के दौरान वैश्विक आतंकी संगठनों के खतरे को लेकर भी चिंता जताई। आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए अमेरिका संयुक्त राष्ट्र में भारत का साथ दे रहा है। पुलवामा हमले के बाद भारत और अमेरिका लगातार पाक से आतंकी गुटों पर सख्त एक्शन लिए जाने की बात कह रहे हैं।

अमेरिकी के आतंकनिरोधी अभियान के एम्बेसडर नाथन सालेस और भारत केविदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव महावीर सिंघवी ने प्रतिनिधिमंडल की अगुआई की। इस दौरान आतंकवाद से लड़ाई में भारत और अमेरिका ने आपसी सहयोग पर बल दिया। दोनों देशों में आतंकियों से जुड़ी सूचनाएं साझा करने पर सहमति बनी ताकि आतंकी सरगनाओं कीयात्राओं पर प्रतिबंध लगाया जा सके।

मसूद पर प्रतिबंध के लिए अमेरिका की एक और कोशिश

28 मार्च को अमेरिका, फ्रांस-ब्रिटेन की मदद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित कराने के लिए प्रस्ताव लाया था। ये प्रस्ताव यूएनएससी के सभी 15 सदस्यों को दिया गया है और सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है। अगर प्रस्ताव पर एकराय बनती है तो मसूद पर ट्रैवल बैन, संपत्ति सीज होने जैसी कई कार्रवाई हो सकती हैं। दो हफ्ते पहले भी तीनों देशों ने मसूद के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने इसमें टेक्निकल होल्ड लगाकर चौथी बार मसूद को वैश्विक आतंकी घोषित होने से बचा लिया था।

यूएन में आतंकियों को बचाता है चीन: अमेरिका
गुरुवार को अमेरिका ने मुस्लिमों के प्रति दोहरी नीति के कारण चीन की जमकर आलोचना की है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने बुधवार को कहा- चीन अपने घर में लाखों मुसलमानों को प्रताड़ित करता है, लेकिन हिंसक इस्लामिक आतंकी समूहों को संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध से बचाता है। पॉम्पियो का इशारा जाहिर तौर पर चीन द्वारा मसूद अजहर को सुरक्षा परिषद में वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के प्रस्ताव पर रोड़े अटकाने को लेकर था। जैश ने 14 फरवरी को पुलवामा में सीआरपीएफ पर हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे।

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प्रतीकात्मक फोटो।