नेशनल डेस्क।अमेरिका, रूस औरचीनके बाद भारत अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने वाला चौथा देश बन गया है। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में बताया कि 27 मार्चकोभारत ने ये अभूतपूर्व सिद्धि हासिल की है और अतंरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। वैज्ञानिकों ने सिर्फ तीन मिनट में एंटी सैटेलाइट (A-SAT) मिसाइल के जरिए धरती से महज तीन सौर किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में अपने द्वारा छोड़ा गया एक माइक्रो सैटेलाइट मार गिराया। ये सैटेलाइट LOE यानी ‘लो आर्बिट अर्थ’ में मौजूद था। वैज्ञानिकों ने ये कारनामा ‘मिशन शक्ति’ ऑपरेशन के तहत किया है।भारत ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराने की ताकत हासिल की सामने आया एंटी-सैटलाइट मिसाइल का वीडियो
क्या होता है लो अर्थ आर्बिट (LEO)?
– अंतरिक्ष में मौजूद सैटलाइट धरती की जिस सबसे निचली कक्षा में मौजूद होता है, तो उसे ‘लो अर्थ आर्बिट’ कहा जाता है। ‘लो आर्बिट अर्थ’ यानी धरती से सबसे कम दूरी की कक्षा और इस निचली कक्षा में मौजूद सैटेलाइट को ‘लो आर्बिट सैटेलाइट’ कहा जाता है। ये लो ऑर्बिट धरती से 160 किलोमीटर से लेकर 2000 किलोमीटर तक की दूरी पर होता है। बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी लॉ आर्बिट में स्थापित किया गया है। धरती से इसकी दूरी 161 से 322 किमी है।
सैटलाइट को निशाना बनाना आसान नहीं
लो ऑर्बिट अर्थ में सैटेलाइट को निशाना बनाना आसान काम नहीं होता। क्योंकि इस निचली कक्षा में वेलोसिटी 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इस वजह से ‘लो ऑर्बिट’ में मौजूद सैटेलाइट भी तेजी से मूव करता है। इस लिहाज से भी अंतरिक्ष में ‘लो ऑर्बिट’ सैटेलाइट को सिर्फ तीन मिनट में मार गिराना भारत के लिए वाकई सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। क्योंकि ऐसा पहले सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन कर चुके हैं।
कैसे काम करता है A-SAT
– भारत ने देश में ही बने एंटी-सैटलाइट मिसाइल (A-SAT) के जरिए इस कारनामे को अंजाम दिया। स्पेस एक्सपर्ट के मुताबिक, एंटी-सैटलाइट मिसाइल में बारूद नहीं होता है। इसे काइनैटिक किल वेपन कहा जाता है।
– यानी ये मिसाइल काइनैटिक किल मैकेनिज्म पर काम करती है। इसके वॉरहेड पर एक मेटल स्ट्रिप होता है। सैटलाइट के ऊपर मेटल का गोला गिर जाता है और वो उसे गिरा देता है।
– ये मिसाइल किसी भी देश को अंतरिक्ष में सैन्य ताकत देने का काम करता है। अब तक ये शक्ति अमेरिका, रूस और चीन के पास ही थी।
भारत के दुश्मनों के लिए बन सकती है परेशानी
– भारत के पास ये ताकत हासिल करने के बाद दुश्मन देशों के लिए परेशानी बढ़ सकती है। क्योंकि जंग के दौरान भारत जब चाहे दुश्मन देश की कम्युनिकेशन सेंटर, आर्मी सैटेलाइट को ध्वस्त कर सकता है। बता दें कि लो आर्बिट अर्थ में ही मिलिट्री सैटेलाइट मौजूद होते हैं। क्योंकि निचली कक्षा में सैटेलाइट होने से जमीन से उनका कम्युनिकेशन ज्यादा बेहतर होता है।
– किसी दुश्मन देश के सैटेलाइट के जासूसी करने के शक पर भारत पर एंटी सैटेलाइट मिसाइल से उचित कार्रवाई कर सकता है। अब एशिया में चीन के पास ये टेक्नोलॉजी थी। ऐसे में भारत के पास भी ये स्पेस टेक्नोलॉजी आ जाने से चीन भी स्पेस में अलर्ट हो जाएगा।
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