इंटरनेशनल डेस्क, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के एक प्रमुख अखबार ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद राहत शिविरों और सामुदायिक बंकरों में महिलाओं के यौन शोषण को लेकर खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी घटनाएं 2005 में आए भूकंप के बाद से जारी हैं। इस दौरान न सिर्फ कई महिलाओं का अपहरण हुआ, बल्कि उनका यौन शोषण भी किया गया। अब महिलाएं इन स्थानों पर जाने के बजाए किसी सुरक्षित स्थान पर जाना चाहती हैं।
सामुदायिक बंकरों में शरण लेने से हिचकती हैं महिलाएं
– पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि शिविरों और बंकरों में महिलाओं के साथ जो कुछ हुआ, उसकी कहानियां पूरे कश्मीर में जानी जाती हैं। यही कारण है कि वे अब सरकार के अस्थाई शिविरों में जाने के बजाए बारा काहू (इस्लामाबाद) जाना चाहती हैं। कुछ ही परिवार हैं, जो ऐसा करने में सफल हो पाते हैं।
– राहत एजेंसियों ने 1990 में सामुदायिक बंकरों को बनाया। यह 13 बाय 7 फीट का ऐसा स्थान होता है, जहां गोलीबारी के दौरान 20 से 30 लोगों को एक साथ रखा जाता है। इस उम्मीद में कि मोर्टार से उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। मगर अब यहां महिलाओं का यौन शोषण होता है। सीमा पर रहने वाली महिलाओं को गोलीबारी का सामना करना पड़ता है।
– इन मामलों की कभी कोई शिकायत नहीं की गई। पीओके में स्थित नीलम घाटी की एक अज्ञात महिला ने बताया कि 1990 में जब वह किशोरी थी, तब उसने महिलाओं के यौन शोषण की बात कही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, महिलाओं से इतने खराब लहजे में बात की जाती थी, जो दुष्कर्म से कम नहीं लगती थी।
– महिलाएं इस तरह की बातों को नजरअंदाज करती थीं। लेकिन स्थानीय लोगों या सैनिकों द्वारा किशोरियों के साथ किए गए यौन शोषण पर कई बार समाज भी ध्यान नहीं देता था। ऐसे में पीड़िता जीवनभर दुविधा में होती थी।
– पीड़िता के परिजन कहते थे कि समाज को इस बारे में पता चला तो इनसे शादी कौन करेगा?
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