डीआरडीओ चेयरमैन ने कहा- 100 वैज्ञानिकों ने प्रोजेक्ट पर दिन-रात काम किया


नई दिल्ली.भारत एंटी सैटेलाइट मिसाइल प्रोजेक्ट परदो साल पहले से काम कर रहा था। डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीशरेड्डी का कहना है कि छह माह पहले प्रोजेक्ट मिशन मोड में आया और उसके बाद 100 वैज्ञानिकों ने दिन-रात काम कर लॉन्चिंगको सफल बनाया। रेड्डी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा के बाद एनएसए अजीत डोभाल ने इसके लिए मंजूरी दी थी।

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जी. सतीश रेड्डी

सिंगापुर का चांगी एयरपोर्ट लगातार 7वें साल सर्वश्रेष्ठ, भारत का आईजीआई 59वें नंबर पर


लंदन. सिंगापुर का चांगी एयरपोर्ट लगातार 7वें साल दुनिया का सर्वश्रेष्ठ हवाईअड्डा घोषित किया गया है। यूके की कंसल्टेंसी फर्म स्काईट्रैक्स ने हवाई यात्रियों पर किए गए सर्वे के आधार पर दुनिया के 100 एयरपोर्ट्स की रैंकिंग जारी की है। इसमें भारत के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट (दिल्ली) का 59वां नंबर है। इसकी रैंकिंग में 7 पायदान का सुधार हुआ है। 2018 में यह 66वें नंबर पर था।

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सिंगापुर का चांगी एयरपोर्ट।


Singapore airport named best, New Delhi’s IGI at 59th


Singapore airport named best, New Delhi’s IGI at 59th


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Singapore airport named best, New Delhi’s IGI at 59th

लोकसभा चुनाव में बचे हैं चंद दिन, मोदी से लेकर राहुल तक झोंक रहे पूरी ताकत, हर एक वोट निभाएगा अहम रोल, आपके पास नहीं है वोटर आईडी तो तुरंत ऐसे करें अप्लाई


न्यूज डेस्क। लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं। हर एक नागरिक का वोट सरकार बनाने में अहम रोल निभाएगा। ऐसे में जरूरी हो कि आप भी वोटिंग करें। वोटिंग करने के लिए आपको पास वोटर आईडी का होना जरूरी है। जानिए आप कैसे वोटर आईडी बनवाने के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं।

कौन कर सकता है अप्लाई
– हर ऐसा भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 साल पूरी हो चुकी हो, वोटर आईडी के लिए अप्लाई कर सकता है।

कौन से डॉक्युमेंट्स जरूरी
– एक पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ।
– वैलिड एज प्रूफ जैसे बर्थ सर्टिफिकेट, मार्कशीट, पासपोर्ट, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस या आधार कार्ड।
– वैलिड एड्रेस प्रूफ जैसे पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बिजली बिल, रेंट एग्रीमेंट आदि में से कोई एक।
– 21 साल से ज्यादा उम्र होने पर एज डिक्लयरेशन फॉर्म भी देना होगा।

कैसे करें अप्लाई
– नेशनल वोटर्स सर्विसेज पोर्टल की ऑफिशियल वेबसाइट www.nvsp.in पर क्लिक करें।
– अब ‘Form 6’ पर क्लिक करें।
– अगले पेज पर आपको पूरी पर्सनल और रेजिडेंशियल इंफॉर्मेशन भरना होगी।
– अब जरूरी डॉक्युमेंट्स अपलोड करना होंगे।
– डिक्लयरेशन चेक करने के बाद कैप्चा कोड डालें। ‘Submit’ बटन पर क्लिक करते ही प्रॉसेस पूरी हो जाएगी।

एप्लीकेशन स्टेट्स ऑनलाइन कैसे चेक करें
– एप्लीकेशन फॉर्म की प्रॉसेस होने के बाद आपको एक रेफरेंस आईडी मिलेगी। इसके जरिए आप अपनी एप्लीकेशन का स्टेट्स ऑनलाइन ही ट्रैक कर सकते हैं।
– स्टेट्स चेक करने के लिए www.nvsp.in पर जाएं। होम पेज पर ‘Track application status’ लिंक दिखेगी।यहां क्लिक करें।
– रेफरेंस आईडी डालें और Track status पर क्लिक करें। आपको एप्लीकेशन स्टेट्स स्क्रीन पर दिख जाएगा।

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How to apply for voter id card

भारत बना अंतरिक्ष में महाशक्ति, सामने आया एंटी-सैटलाइट मिसाइल का वीडियो


नेशनल डेस्क।अमेरिका, रूस औरचीनके बाद भारत अंतरिक्ष में सैटेलाइट को मार गिराने वाला चौथा देश बन गया है। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में बताया कि 27 मार्चकोभारत ने ये अभूतपूर्व सिद्धि हासिल की है और अतंरिक्ष इतिहास में अपना नाम दर्ज कराया है। वैज्ञानिकों ने सिर्फ तीन मिनट में एंटी सैटेलाइट (A-SAT) मिसाइल के जरिए धरती से महज तीन सौर किलोमीटर की दूरी पर अंतरिक्ष में अपने द्वारा छोड़ा गया एक माइक्रो सैटेलाइट मार गिराया। ये सैटेलाइट LOE यानी ‘लो आर्बिट अर्थ’ में मौजूद था। वैज्ञानिकों ने ये कारनामा ‘मिशन शक्ति’ ऑपरेशन के तहत किया है।भारत ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराने की ताकत हासिल की सामने आया एंटी-सैटलाइट मिसाइल का वीडियो

क्या होता है लो अर्थ आर्बिट (LEO)?
– अंतरिक्ष में मौजूद सैटलाइट धरती की जिस सबसे निचली कक्षा में मौजूद होता है, तो उसे ‘लो अर्थ आर्बिट’ कहा जाता है। ‘लो आर्बिट अर्थ’ यानी धरती से सबसे कम दूरी की कक्षा और इस निचली कक्षा में मौजूद सैटेलाइट को ‘लो आर्बिट सैटेलाइट’ कहा जाता है। ये लो ऑर्बिट धरती से 160 किलोमीटर से लेकर 2000 किलोमीटर तक की दूरी पर होता है। बता दें कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी लॉ आर्बिट में स्थापित किया गया है। धरती से इसकी दूरी 161 से 322 किमी है।

सैटलाइट को निशाना बनाना आसान नहीं
लो ऑर्बिट अर्थ में सैटेलाइट को निशाना बनाना आसान काम नहीं होता। क्योंकि इस निचली कक्षा में वेलोसिटी 27 हजार किलोमीटर प्रति घंटा होती है। इस वजह से ‘लो ऑर्बिट’ में मौजूद सैटेलाइट भी तेजी से मूव करता है। इस लिहाज से भी अंतरिक्ष में ‘लो ऑर्बिट’ सैटेलाइट को सिर्फ तीन मिनट में मार गिराना भारत के लिए वाकई सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। क्योंकि ऐसा पहले सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन कर चुके हैं।

कैसे काम करता है A-SAT
– भारत ने देश में ही बने एंटी-सैटलाइट मिसाइल (A-SAT) के जरिए इस कारनामे को अंजाम दिया। स्पेस एक्सपर्ट के मुताबिक, एंटी-सैटलाइट मिसाइल में बारूद नहीं होता है। इसे काइनैटिक किल वेपन कहा जाता है।
– यानी ये मिसाइल काइनैटिक किल मैकेनिज्म पर काम करती है। इसके वॉरहेड पर एक मेटल स्ट्रिप होता है। सैटलाइट के ऊपर मेटल का गोला गिर जाता है और वो उसे गिरा देता है।
– ये मिसाइल किसी भी देश को अंतरिक्ष में सैन्य ताकत देने का काम करता है। अब तक ये शक्ति अमेरिका, रूस और चीन के पास ही थी।

भारत के दुश्मनों के लिए बन सकती है परेशानी
– भारत के पास ये ताकत हासिल करने के बाद दुश्मन देशों के लिए परेशानी बढ़ सकती है। क्योंकि जंग के दौरान भारत जब चाहे दुश्मन देश की कम्युनिकेशन सेंटर, आर्मी सैटेलाइट को ध्वस्त कर सकता है। बता दें कि लो आर्बिट अर्थ में ही मिलिट्री सैटेलाइट मौजूद होते हैं। क्योंकि निचली कक्षा में सैटेलाइट होने से जमीन से उनका कम्युनिकेशन ज्यादा बेहतर होता है।
– किसी दुश्मन देश के सैटेलाइट के जासूसी करने के शक पर भारत पर एंटी सैटेलाइट मिसाइल से उचित कार्रवाई कर सकता है। अब एशिया में चीन के पास ये टेक्नोलॉजी थी। ऐसे में भारत के पास भी ये स्पेस टेक्नोलॉजी आ जाने से चीन भी स्पेस में अलर्ट हो जाएगा।

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the launch of the anti satellite missile used in MissionShakti

जम्मू-कश्मीर में सेना का ऑपरेशन ऑलआउट जारी, शोपियां में तीन आतंकी मार गिराए, इस साल मार्च तक 65 आंतकी हो चुके हैं ढेर


नेशनल डेस्क, श्रीनगर जम्मू-कश्मीर के शोपियां और हंदवाड़ा में सुरक्षाबलों की आतंकियों के साथ मुठभेड़ में बड़ी कामयाबी मिली है। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑलआउट के तहत सेना ने बड़ा ऑपरेशन लॉन्च किया है। शोपियां में बुधवार देर रात से जारी सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में तीन आंतकी ढेर हो चुके हैं। मारे गए सभी आतंकी हिजबुल मुजाहिदीन के थे। ये सीआरपीएफ, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस का ज्वाइंट ऑपरेशन था। इसमें आतंकियों के पास से भारी तादाद में हथियार बरामद हुए हैं। इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है।सुरक्षा के लिहाज से शोपियां में इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं। इस साल मार्च महीने तक 65 आतंकी ढेर किए जा चुके हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 44 ही था।

CRPF, आर्मी और पुलिस ने शोपियां के केलर इलाके में ज्वाइंट ऑपरेशन किया था। रातभर गोलाबारी के बाद सुबह दो अातंकियों के शव बरामद किए गए। बाद में एक अन्य आतंकी का शव भी बरामद हुआ। अभी इस इलाके में और भी आतंकियों के छिपे होने की आशंका है।

बता दें कि बुधवार को शोपियां जिले में आतंकियों ने एक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। एक पुलिस अफसर ने बतया कि बेम्नीपोरा गांव निवासी तनवीर अहमद डार की गंभीर रूप से घायल होने के कारण तत्काल मौत हो गई. मारे गए युवक की उम्र 24 साल थी।

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Shopian encounter: Latest News & Videos: 3 terrorists gunned down by Indian Army: Dainik Bhaskar Hindi News

नक्सलियों ने भाजपा नेता के घर को बम से उड़ाया, चाचा और भाई को पीटा; चुनाव बहिष्कार का पर्चा फेंक गए


गया. बिहार के गया जिले के डुमरिया थाना क्षेत्र के बोधिबिगहा गांव में नक्सलियों ने पूर्व एमएलसी और भाजपा नेताअनुज सिंह के घर को बम से उड़ा दिया। घटना बुधवार रात करीब 12 बजे की है। नक्सली मौके पर पर्चा फेंककर गए हैं। इसमें चुनाव का बहिष्कार करने की बात लिखी है।वारदात को प्रतिबंधित नक्सली संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के उग्रवादियों ने अंजाम दिया है।

50 से अधिक थे नक्सली, अनुज के चाचा और भाई को पीटा
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, 50 से अधिक नक्सली हथियारों से लैस होकर आए थे। नक्सलियों ने अनुज के छोटे भाई के परिवार को घर से निकाला। इस दौरान अनुज के चाचा और छोटेभाई जय सिंह के साथ मारपीट की गई। नक्सलियों ने घर में बम लगाया और विस्फोट कर दिया। धमाके से घर का बड़ा हिस्सा ढह गया। गुरुवार सुबह पुलिस मौके पर पहुंची।

घर में नहीं थे अनुज सिंह
घटना के वक्त अनुज सिंह घर में नहीं थे। वह परिवार के साथ गया शहर में स्थित आवास में रहते हैं। अनुज कभी-कभी पैतृक घर आते हैं। यहां उनके छोटे भाई परिवार के साथ रहते हैं।नक्सल प्रभावित गया जिले में पहले चरण में लोकसभा का चुनाव है। यहां 11 अप्रैल को वोटिंग होनी है। चुनाव से पहले दहशत फैलाने के लिए नक्सलियों ने इस वारदात को अंजाम दिया।

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धमाके से घर का बड़ा हिस्सा ढह गया


मौके पर पहुंचे सुरक्षा बल के जवान।


Residence of former MLC and BJP leader Anuj Kumar Singh in Dumariya blasted with dynamite by Naxals


Residence of former MLC and BJP leader Anuj Kumar Singh in Dumariya blasted with dynamite by Naxals

‘चौकीदार चोर है’ नारे से खफा चौकीदार भी कूदे सियासत में, पंजाब की 6 सीटों से लड़ेंगे चुनाव


चंडीगढ़.राजनैतिक दलों द्वारा चौकीदारों के बारे में की जा रही टिप्पणियों से खफा चौकीदारों ने खुद ही सियासत में कूदने का फैसला किया है। अब वो लोकसभा चुनाव में 6 सीटों आनंदपुर साहिब, फतेहगढ़ साहिब, पटियाला और 3 अन्य सीटों से चुनाव लड़ेंगे।ये सभीलाल झंडा पेंडू चौकीदार यूनियन पंजाब (सीटू) के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे।

चौकीदारों का कहना है कि पिछले कुछ समय से उनके नाम पर सियासत की जा रही है। कुछ राजनैतिक दलों ने चौकीदारों को चोर कहकर संबोधित किया है, जो कि अपमानित करने वाला है। यह अपमान उन्हें रोजाना सहना पड़ रहा है।

प्रधानमंत्री को भी चौकीदारों की चिंता नहीं

लाल झंडा पेंडू चौकीदार यूनियन पंजाब (सीटू) का कहना है किप्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी ने भी खुद को चौकीदार कहने से पहले कभी यह तक नहीं देखा कि चौकीदारों की हालत क्या है और वो कैसा जीवन व्यतीत कर रहे हैं?उन्होंने कभी चौकीदारों के उत्थान के बारे में नहीं सोचा, लेकिन अब चुनाव केचलते खुद को देश का चौकीदार बताकर उन्होंने दूसरे राजनैतिक दलों को उनका अपमान करने का मौका दे दिया है।

बेटे बेटियों का घर से निकलना हुआ मुश्किल

  • सीटू के प्रधान परमजीत सिंह नीलों, चेयरमैन अमरजीत सिंह के साथ अन्य चौकीदारों ने बुधवार कोचीफ इलेक्टोरलऑफिसर डॉ. एसके राजू से शिकायत की।ज्ञापन में कहा,”सियासत के लिए चौकीदारों का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। इन दिनों हर जगह चौकीदारों को चोर कहकर अपमानित किया जा रहा है।”
  • “वहीं, दूसरे दल ने इस नारे कोअपना जुमला ही बना लिया है, जबकि इससे चौकीदार समुदाय का अपमान हो रहा है। चौकीदारों की हालत यह हो गई है कि उन्हें घर से निकलना तक मुश्किल हो गया है। उनके बेटे-बेटियों को देखकर लोग कहने लगे हैं, वो देखो चौकीदार की बेटी।”

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Angered Chowkidar will fight election

मेहुल चोकसी का नया पैंतरा, कहा- पीएनबी घोटाले से मेरा संबंध नहीं


नई दिल्ली. पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 13700 करोड़ रुपए के घोटाले के दो मुख्य आरोपियों में से एक मेहुल चौकसी ने बुधवार को कहा कि इस मामले में जिन कंपनियों के खिलाफ जांच चल रही है उनमें वह किसी में भी पार्टनर नहीं है। उसने दावा किया वह इन कंपनियों से वर्ष 2000 में ही बाहर निकल गया था।

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मेहुल चौकसी।

पश्चिमी देश भारत पर कृषि सब्सिडी घटाने का दबाव बना रहे


नई दिल्ली. अमेरिका और यूरोप भारत पर आरोप लगाते हैं कि वह अपने किसानों को बहुत ज्यादा सब्सिडी देता है। उनका कहना है कि भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करता है। इससे भारतीय कृषि उत्पाद सस्ते हो जाते हैं। जब ये उत्पाद निर्यात होकर विकसित देश पहुंचते हैं तो इससे वहां के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। भारत इन दावों को खारिज करता रहा है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर।

वोटदाता से ही मुकाबला! टीआरएस के गढ़ में सैकड़ों किसान चुनाव लड़ेंगे


निजामाबाद/तेलंगाना (शशिभूषण).टीआरएस के गढ़ उत्तरी तेलंगाना के निजामाबाद संसदीय क्षेत्र से मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता सांसद हैं। जगतियाल मंडल का लक्ष्मीपुर गांव इसी का हिस्सा है। गांव के पंचायत भवन पर जुटे किसानों के बीच बहस छिड़ी है। नौजवान गोपाल रेड्‌डी पस्पू (हल्दी) के दाम के बहाने बाजार, बागान, खेत और किसान की बातें ठेठ तेलुगु में बोल रहा था। बात एकबारगी सिर के ऊपर से तैर गई। इतना समझ में आया कि गोपाल तैश में है। मेरे तेलुगु भाषी ड्राइवर रामचंद्र ने टूटी-फूटी हिंदी में समझाया कि गोपाल कह रहा है कि देश में कैसी मार्केट इकोनॉमी चल रही है? जब हम कोई सामान खरीदने जाते हैं तो उस पर एमआरपी लिखा होता है। यानी दाम तय होता है। लेकिन किसान जब अपनी उपज बेचने जाता है तो बाजार फसल का दाम तय करता है।

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दरअसल, गोपाल जैसे युवा ही तेलंगाना की राजनीति की पेशानी पर छलकता पसीना है। जगतियाल मंडल के लक्ष्मीपुर ही नहीं, निजामाबाद संसदीय क्षेत्र के तमाम गांवों के किसान पूरे सिस्टम पर हल्दी पोतने को उतारू हैं। सिस्टम के खिलाफ उन्होंने अनूठी बगावत छेड़ रखी है। इस बार थोक भाव में नामांकन भरे गए हैं। किसान नेता पी.तिरुपति रेड्‌डी का दावा था कि उनकी ओर से पर्चा भरने वालों की संख्या 500 तक पहुंचेगी। हालांकि यह आंकड़ा नामांकन के आिखरी दिन 25 मार्च तक 245 तक ही पहुंच पाया। फिर भी यह अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। स्क्रूटनी में यदि इनमें से आधे किसानों के भी नामांकन पत्र सही पाए गए तो 17वीं लोकसभा के चुनाव में संभवत: निजामाबाद संसदीय क्षेत्र इकलौता क्षेत्र होगा जहां ईवीएम नहीं, बैलेट से चुनाव की नौबत आएगी। ईवीएम, अधिकतम 64 प्रत्याशियों की संख्या रहने पर ही इस्तेमाल में लाई जा सकती है। नामांकन खारिज भी हुए तो भी सर्वाधिक नामांकन इसी संसदीय क्षेत्र में खारिज होंगे। जो भी हो, तेलंगाना का निजामाबाद संसदीय क्षेत्र इस चुनाव में इतिहास बनाने के मुहाने पर है।

हालात से वाकिफ केसीआर ने निजामाबाद की चुनावी सभा में किसानों से धैर्य बरतने, भाजपा व कांग्रेस की कठपुतली न बनने और चुनाव बाद समाधान की बात कही। कविता ने तो यहां तक कह दिया कि किसानों को नामांकन करना ही है तो वे वाराणसी और अमेठी से करें जहां से नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। नामांकन करने वाले और हल्दी किसानों की अगुवाई कर रहे तिरुपति रेड्‌डी कहते हैं, यह निजामाबाद ही नहीं आसपास के कई संसदीय क्षेत्रों की आवाज है। तीन साल हो गए आवाज उठाते-उठाते। जब हम थक गए तो चुनाव लड़ने को ही विरोध का जरिया बनाया।

बीते फरवरी में प्रदर्शन करने पर मुकदमे लादे गए। केस भी हुए। हम क्या करें? एक एकड़ में हल्दी की खेती करने पर एक लाख की लागत आती है। 22-25 क्विटंल उपज होती है। दाम मिलता है 4500-5500 प्रति क्विंटल। दस साल पहले यहीं हल्दी 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल बिकती थी। किसान आज 15,000 रुपए प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं। किसानों की यही मांग इस संसदीय क्षेत्र में जीत-हार का मार्जिन निर्धारित करेगी। उनके करीब 3 लाख वोट हैं। अधिकांश रेड्‌डी हैं। किसानों की मांग को भाजपा और कांग्रेस की ओर से हवा भी मिल रही है हालांकि किसान इन आरोपों को खारिज करते हैं। निजामाबाद संसदीय क्षेत्र के अधीन सभी सात विधानसभा क्षेत्रों पर टीआरएस का कब्जा है। जिस जगतियाल मंडल के किसान थोक में पर्चा भर रहे हैं वहां की सीट भी विधानसभा चुनाव में टीआरएस लंबे अंतर से जीती थी।

आदिलाबाद में भाजपा ने आदिवासी कार्ड खेला है। पार्टी ने यहां सोयम बाबू राव को प्रत्याशी बनाया है। आदिवासी लंबादाओं जाति को ट्राइबल नहीं मानते और उन्हें बाहर करने की मांग कर रहे हैं। विरोध इसलिए बड़ा है, क्योंकि सरकारी नौकरियाें का फायदा लंबादा ले लेते हैं। यहां कांग्रेस प्रत्याशी रमेश राठौड़ लंबादा हैं। टीआरएस के प्रत्याशी यहां निवर्तमान सांसद जी. नागेश हैं।

पेड्डापल्ली सीट पर ‘शीत युद्ध’ की लहर है। सरकार के सलाहकार जी विवेकानंद ने टिकट न मिलने से टीआरएस छोड़ दी है। टिकट न मिलने के पीछे विवेकानंद और समाज कल्याण मंत्री कोपुल्ला ईश्वर के बीच झगड़ा चल रहा है। कांग्रेस ने यहां ए.चंद्रशेखर को टिकट थमाया है। बी.वेंकटेश नेटाकनी टीआरएस प्रत्याशी हैं तो एस कुमार भाजपा के उम्मीदवार। विवेकानंद का रुझान भाजपा की ओर है। कांग्रेस और भाजपा इस संसदीय क्षेत्र में एक-दूसरे से आगे निकलने और अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने में जुटे हैं।

करीमनगर वह जगह है, जहां टीआरएस की नींव पड़ी थी। 2001 में केसीआर ने यहीं से सिंह गर्जना रैली शुरू की थी। यहां से पी प्रभाकर कांग्रेस और बी िवनोद टीआरएस प्रत्याशी हैं। केसीआर इस क्षेत्र को अपने लिए शुभ मानते हैं। यहीं से उन्होंने किसानों के लिए रैयतू बंधु (प्रति एकड़ 8000 का अनुदान) स्कीम शुरू की। केसीआर यहां से तीन बार सांसद भी रह चुके हैं।

जहीराबाद क्षेत्रीय भाषाओं का संगम है। तेलुगु, मराठी, कन्नड़ और हिंदी का ज्ञान यहां राजनीति के लिए जरूरी है। कारण संसदीय क्षेत्र का भूगोल है। यहां टीआरएस के सांसद बीबी पाटिल भी मैदान में हैं। कांग्रेस ने आईटी सेल इंचार्ज मदन मोहन पर दांव खेला है तो भाजपा प्रत्याशी हैं बी लक्ष्मण रेड्‌डी। मेडक वह क्षेत्र है जो मिशन भागीरथ का बुनियादी इलाका है। 1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई, तब वे यहीं से सांसद थीं। कभी कांग्रेस के लिए सुरक्षित क्षेत्र में आज टीआरएस की जमीन है। के. प्रभाकर रेड्‌डी यहां टीआरएस उम्मीदवार हैं। मुकाबला काग्रेस के जी. अनिल कुमार से है। 2014 में केसीआर इसी संसदीय क्षेत्र से चुने गये थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सीट खाली की थी।

मौजूदा स्थिति: 6 सीटें टीआरएस के पास
कहां-क्या मुद्दे हैं?

  • आदिलाबाद : सिरपुर पेपर मिल में स्थानीय लोगों की नियुक्ति, पोडू (खाली) जमीन पर आदिवासियों को खेती न करने देना जैसे स्थानीय मुद्दे हैं। लंबादा जाति को जनजाति का दर्जा दिए जाने पर विरोध है
  • पेड्‌डापल्लै : यहां कोई स्थानीय मुद्दा प्रभावी नहीं है। टीआरएस यहां गैर-कांग्रेस, गैर-भाजपा के नारे के बूते मैदान में है। कांग्रेस टीआरएस को भाजपा की बी टीम बताकर प्रचार कर रही है।
  • जहीराबाद : गन्ने और अदरक की खेती होती है। यहां दोनों उपज की वाजिब कीमत मुद्दा है। सिंगूर, निजाम सागर और श्रीराम सागर बांधों का पानी खेतों तक पहुंचाना भी चर्चा का विषय है।
  • मेडक : यहां मलन्नासागर बांध निर्माण से विस्थापित होने वाले इसका विरोध कर रहे हैं।

क्यों टीआरएस का गढ़ का है यह क्षेत्र
उत्तरी तेलंगाना के निजामाबाद, आदिलाबाद, करीमनगर, जहीराबाद, पेडपल्लै व मेडक सीट तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के गढ़ गिने जाते हैं। तेलंगाना अलग राज्य निर्माण की मांग का यही सघन इलाका भी था। लोगों की स्मृतियों में यादें ताजा हैं। 2014 में सभी सीटें टीआरएस ने जीती थीं। मुख्यमंत्री बनने के पूर्व केसीआर मेडक से ही सांसद थे। यहां कहने को त्रिकोणीय लड़ाई है। लेकिन दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों को आधार माना जाए तो टीआरएस सबसे ताकतवर दिखती है।

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Hundreds of farmers will contest the TRS bastion