छपरा से सूरत जा रही ताप्ती गंगा एक्सप्रेस की 13 बोगियां पटरी से उतरीं, 5 यात्री घायल


छपरा. बिहार के छपरा में रविवार को ताप्ती गंगा एक्सप्रेस की 13 बोगियां पटरी से उतर गईं। हादसा, सुबह 9:45बजे यहां के गौतम स्थान हॉल्टके नजदीक हुआ। ट्रेन छपरा से सूरत जा रही थी। फिलहाल, 5यात्रियों के घायल होने की खबर है। रेलवे के अधिकारियों नेमौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। घटना के बाद रेलवे नेरूट पर अप और डाउन ट्रेनों का संचालन रोक दिया।

हादसे के वक्तट्रेन की गतिधीमी थी, इसके चलते कोई बड़ानुकसान नहीं हुआ। हादसे के कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं है। रेलवे ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं।रेलवे सूत्रों नेप्रथमदृष्टया ट्रैक में फैक्चर या अन्यगड़बड़ी की आशंका व्यक्त की है। उधर, घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। साथ ही,जिन यात्रियों को हल्की चोटलगीहैं, उन्हें मौके पर ही फर्स्ट एड दिया गया।

ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रेलवे ने ताप्ती गंगा एक्सप्रेस(ट्रेन नं-19046) को रद्दकर दिया। पश्चिमी रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि ट्रेन के यात्रियों को बस से छपरा भेजा गया। रेलवे ने हादसे से जुड़ी जानकारी के लिएहेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं।

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हादसे में 13 बोगियां पटरी से उतर गईं।


Tapti-Ganga express train derail near Gautam Asthan,Chhapra in Bihar


कई यात्रियों को हल्की चोट लगी।


Tapti-Ganga express train derail near Gautam Asthan,Chhapra in Bihar


Tapti-Ganga express train derail near Gautam Asthan,Chhapra in Bihar

वायरल हो रहा पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी में हुआ होली सेलिब्रेशन का वीडियो, नाचते और झूमते दिखे स्टूडेंट्स



इंटरनेशनल डेस्क। इंडिया में जब होली होती है उसके एक हफ्ते बाद हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में होली मनाई जाती है। पाकिस्तान वालों ने भी जमकर होली खेली। इसका एक वीडियो वायरल हो रहा है। ये पाकिस्तान की एक यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स का है। होली मना रहे हैं यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स जबर्दस्त डांस करते नजर आ रहे हैं।कैद-ए-आजम यूनिवर्सिटी इस्लामाबाद ने अपने फेसबुक पेज पर वीडियो शेयर किया है।

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आप भी करवाने वाले हैं कार या बाइक का इंश्योरेंस तो जान लें ये बात, IRDAI ने बताया 1 अप्रैल 2019 से इंश्योरेंस करवाने पर ग्राहक को कितने रुपए देना होंगे


न्यूज डेस्क। कार, बाइक का इंश्योरेंस करवाने वालों के लिए गुड न्यूज है। IRDAI ने बाइक, कार और कमर्शियल वालों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के प्रीमियम में कोई बढ़ोतरी नहीं करने की बात कही है। अमूमन हर नए वित्तीय वर्ष में इंश्योरेंस की दरें दस से चालीस फीसदी तक बढ़ जाती हैं। बता दें कि IRDAI ही थर्ड पार्टी इंश्योरेंस की दरें तय करता है। गुरुवार को इरडाई ने कहा कि 1 अप्रैल 2018 को लागू की गईं प्रीमियम की दरें ही इस फाइनेंशियल ईयर में भी लागू होंगी। यानी आपको पिछले साल के बराबर प्रीमियम ही इस साल देना होगा।

अभी कितना लग रहा पैसा
– 75 सीसी से कम इंजन वाले दोपहिया वाहनों की दरें 427 रुपए है।
– 75 से 150 सीसी तक के इंजन वाले दोपहिया वाहनों को 720 रुपए प्रीमियम के तौर पर देना होंगे।
– इस तरह छोटी कार वालों के लिए प्रीमियम 1850 रुपए है। एसयूवी के लिए 7890 रुपए प्रीमियम जमा करना होगा। छोटी टैक्सी के लिए 5437 रुपए और बड़ी कमर्शियल कार के लिए 7147 रुपए सालाना प्रीमियम देना होगा।

यदि कोई ठगे तो कहां कर सकते हैं शिकायत
– कई बार एजेंट गलत जानकारी देकर पॉलिसी बेचते हैं। ऐसे में आप इरडा में इसकी शिकायत कर सकते हैं।
– ऐसे में सबसे पहले आपको बीमा कंपनी के शिकायत निवारण अधिकारी से संपर्क करना चाहिए।
– यहां से समाधान न होने पर आप इरडा के शिकायत निवारण सेल के टोल फ्री नंबर 155255 पर शिकायत कर सकते हैं।
– डॉक्युमेंट्स के साथ इरडा की ईमेल आईडी पर भी शिकायत भेज सकते हैं: complaints@ irdai.gov.in
– यहां से भी समस्या हल न हो तो आप बीमा लोकपाल तक अपनी शिकायत पहुंचा सकते हैं।

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No price hike in third-party motor insurance

सुल्तानपुर जिले का नाम होगा कुशभवनपुर? गर्वनर राम नाईक ने सीएम योगी को लिखा खत


सुल्तानपुर. उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुल्तानपुर जिले का नाम बदलने के लिए खत लिखा है। इसमें उन्होंने सुल्तानपुर जिले का नाम कुशभवनपुर करने की पैरवी की है। इस पत्र में राज्यपाल राम नाईक ने राजपूताना शौर्य फाउंडेशन की मांग का जिक्र किया है।

पत्र मेंराज्यपाल ने लिखा, ‘राजपूताना शौर्य फाउंडेशन के प्रतिनिधि मंडल द्वारा मुझसे मुलाकात कर एक किताब सुल्तानपुर इतिहास की झलक और ज्ञापन दिया। इसमें उन्होंने सुल्तानपुर को हेरिटेज सिटी में शामिल किए जाने और उसका नाम बदलकर कुशभवनपुर किए जाने का अनुरोध किया है। राम नाईक ने सीएम योगी से कहा है कि इस किताब के आधार पर उचित कदम उठाया जाए।

लंबे अरसे से हो रहीथीमांग
सुल्तानपुर जिले का नाम बदलने की मांग काफी दिनों से उठ रही है। हाल में सुल्तानपुर नगरपालिका में एक प्रस्ताव भी पास किया गया।इससे पहलेसुल्तानपुर के लंभुआ से भाजपा विधायक देवमणि ने विधानसभा में जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था। देवमणि का कहना था कि अयोध्या से सटे सुल्तानपुर जिले को भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने बसाया था और पौराणिक कथाओं मेंइसे कुशभवनपुर नाम से जाना जाता था।

भाजपा विधायक कातर्क
देवमणि ने कहा था कि सीता जी यहीं ठहरी थीं। उनकी याद में आज भी सीताकुंड घाट है। सुल्तानपुर के गजेटियर में भी इस बात का उल्लेख है कि इसका नाम कुशभवनपुर ही था। बाद मेंमुगल शासकोंने इसका नाम बदल दिया था। ऐसे में इसका पुराना नाम होने से जहां गर्व की अनुभूति होगी वहीं शहर कासांस्कृतिक महत्व भी बढ़ेगा।

इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदला
इससे पहले योगी सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या किया था। इसके अलावा मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया था।

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राज्यपाल राम नाईक।

TV ग्राहक ध्यान दें, चंद घंटों बाद खत्म होने जा रही है ट्राई की डेडलाइन, इसके पहले चुन लें अपनी पसंद का पैक, ट्राई ने बताया, ऐसे लोग क्या करें, जिन्होंने अभी तक कोई पैक नहीं चुना है


न्यूज डेस्क। नए नियमों के हिसाब से यदि आपने अभी तक टीवी का कोई नया प्लान नहीं चुना है तो आज यह काम कर लें क्योंकिदूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने इसके लिए 31 मार्च की तारीख निर्धारित की थी, जो आज खत्म होने जा रही है। ट्राई के नए नियम 1 फरवरी से लागू हो चुके हैं। नए नियमों के मुताबिक चैनल को सब्सक्राइब करने की तारीख 31 मार्च निर्धारित की गई है।

पैकेज नहीं चुना तो क्या करें
– 12 फरवरी को जारी किए गए आदेश में ट्राई ने कहा था जिन ग्राहकों ने अभी तक कोई प्लान नहीं लिया है, वे बेस्ट फिट प्लान में ट्रांसफर हो सकते हैं।

आज पैकेज नहीं चुना तो क्या होगा
– इस बारे में ट्राई ने अभी तक कोई जानकारी नहीं दी है। आपने यदि अभी तक कोई प्लान नहीं चुना है तो आप ट्राई द्वारा सुझाए गए बेस्ट फिट प्लान को सिलेक्ट कर सकते हैं।
– आप ट्राई के चैनल सेलेक्टर ऐप की मदद से भी चैनलों का चुनाव कर सकते हैं।

क्या है ट्राई का नया नियम
– ट्राई के नए नियमों के तहत यूजर्स को केवल उन्हीं चैनलों का भुगतान करना होगा, जिसे वो देखना चाहते हैं।
– इसके बाद यूजर्स से 130 रुपए प्लस जीएसटी (करीब 154 रुपए) प्रतिमाह ही लिए जा सकते हैं हालांकि पेड चैनल यदि आप लेते हैं तो उसके पैसे अलग से देना होंगे।

चैनल चुनने के हैं ये 3 ऑप्शन
– सभी सर्विस प्रोवाइडर्स ने अपने प्लान पेश किए हैं, आप इनमें से किसी का भी प्लान चुन सकते हैं।
– इसी तरह ब्रॉडकास्टर्स ने भी अपने पैक पेश किए हैं, इनमें से भी किसी पैकेज को चुना जा सकता है।
– तीसरे विकल्प में a-la-carte होता है, इसके तहत अपने अपनी पसंद के चैनलों का एक पैक बना सकते हैं और इसे एक्टिव करवा सकते हैं।
– चैनलों में एसडी और एचडी का ऑप्शन भी उपलब्ध है।

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Trai new cable, dth rules

लोकसभा चुनाव में दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे राहुल, अमेठी के अलावा दक्षिण भारत की इस सीट से खड़े होंगे


नेशनल डेस्क (नई दिल्ली). कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दो सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। पार्टी की ओर से रविवार को की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया गया कि केरल से लगातार आ रही कार्यकर्ताओं की मांग को देखते हुए उन्होंने अमेठी के साथ ही वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसके अलावा वे अमेठी सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के मुताबिक वायनाड सीट के जरिए वे दक्षिण भारत के तीन राज्यों का प्रतिनिधित्व कर सकेंगे।

– प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटोनी ने कहा- ‘ये बेहद खुशी की बात है। पिछले कई हफ्ते से मांग उठ रही थी कि राहुल दक्षिण भारत से भी चुनाव लड़ें। केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक से उन्हें चुनाव लड़ाने की मांग आ रही थी। इस पर विचार-विमर्श के बाद राहुल का वायनाड सीट से चुनाव लड़ना तय हुआ।’

रणनीतिक तौर पर वायनाड सीट काफी अहम

– एंटनी ने बताया कि राहुल की ओर से वायनाड को चुनने की कई वजह हैं। यह सीट सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से काफी अहम है। यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमाओं को जोड़ती है। ऐसे में राहुल का यहा से चुनाव लड़ना एक तरह से पूरे दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व होगा।

वाम दल ने उठाए सवाल

– माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात ने कहा- राहुल को वायनाड सीट से उतारने का कांग्रेस का फैसला केरल में उसकी वाम दल के खिलाफ प्राथमिकता को दर्शाता है। यह उसकी भाजपा के खिलाफ लड़ने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के खिलाफ है। वहीं, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन ने कहा- राहुल को राज्य में ऐसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए जहां भाजपा का उम्मीदवार हो। यह वाम दल के खिलाफ लड़ाई के सिवाय और कुछ नहीं है।

स्मृति से राहुल सबसे कम अंतर से जीते

– अमेठी में भाजपा ने इस बार भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उतारा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल ने उन्हें 1.07 लाख वोटों से हराया था। हालांकि, राहुल की जीत का यह अंतर 2009 की तुलना में काफी कम था। तब राहुल 3.70 लाख वोटों से जीते थे।
– राहुल 2004 से लगातार तीन बार अमेठी से सांसद चुने जा चुके हैं। 2009 में वह 3.70 लाख वोटों से जीते थे। चुनाव हारने के बावजूद स्मृति अमेठी में लगातार सक्रिय रहीं और भाजपा ने इस बार फिर उन्हें टिकट दिया है।

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Rahul Gandhi To Contest Second Seat From Kerala’s Wayanad Besides Amethi

1 अप्रैल से मोदी सरकार की इस स्कीम में कीजिए निवेश, हर माह जमा करना होंगे सिर्फ 210 रु, फिर 60 के बाद जिंदगीभर मिलेंगे 5 हजार हर माह


फीचर डेस्क। अटल पेंशन योजना सरकार की एक ऐसी स्कीम है, जो रिटायरमेंट के बाद गारंटेड रिटर्न की गारंटी देती है। अभी इसमें 5 स्लैब 1 हजार से 5 हजार रुपए तक के हैं। यह स्कीम खासतौर पर असंगठित क्षेत्र के लोगों के लिए है। जानिए इससे जुड़ी पूरी डिटेल।

18 से 40 साल का कोई भी शख्स कर सकता अकाउंट ओपन
– 18 से 40 साल का कोई भी शख्स अटल पेंशन योजना अकाउंट ओपन करवा सकता है। स्कीम में इनरोल होने के लिए सेविंग बैंक अकाउंट और एक्टिव मोबाइल नंबर का होना जरूरी है।
– यदि 40 साल की उम्र में कोई शख्स इस स्कीम को लेता है तो 60 के बाद पेंशन पाने के लिए कम से कम 20 साल निवेश करना ही होगा।
– 5 साल की अवधि में होने वाले कुल भुगतान में 50 परसेंट कॉन्ट्रीब्यूशन या 1 हजार रुपए प्रतिवर्ष (जो भी कम हो) केंद्र सरकार मिलाएगी।

42 रुपए प्रतिमाह का कर सकते कॉन्ट्रीब्यूशन
– 1 हजार रुपए या 5 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी लेने के लिए सब्सक्राइबर को 42 रुपए से लेकर 210 रुपए प्रतिमाह तक भुगतान करना होगा। यह 18 साल की उम्र में स्कीम लेने पर होगा।
– वहीं यदि कोई सब्सक्राइबर 40 साल की उम्र में स्कीम लेता है तो उसे 291 रुपए से लेकर 1454 रुपए प्रतिमाह तक का मंथली कॉन्ट्रीब्यूशन करना होगा।
– सब्सक्राइबर जितना ज्यादा कॉन्ट्रीब्यूशन करेगा, उसे रिटायरमेंट के बाद उतनी ही ज्यादा पेंशन मिलेगी। हालांकि यह 5 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होगी। इसलिए कॉन्ट्रीब्यूशन भी इसी हिसाब से होगा।

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जम्मू कश्मीर के राजौरी में खाई में गिरी टैक्सी, पांच की मौत


श्रीनगर. जम्मू कश्मीर के राजौरी में शनिवार देर रात एक सड़क हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, टैक्सी राजौरी से दारहल जा रही थी। रास्ते में धंडकोट के पास ड्राइवर का नियंत्रण छूट गया और गाड़ी करीब 30-40 फीट गहरी खाई में गिर गई। दो अन्य लोगों के घायल होने की भी खबर है।

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Several Killed and injured as Car falls in gorge in Rajouri district of Jammu and Kashmir

40 दिनों में 1000 करोड़ रुपए की बिकेंगी चौकीदार टी-शर्ट और कैप


नई दिल्ली (संतोष कुमार)/मुंबई (विनोद यादव).चुनावी मौसम में चौकीदार शब्द चर्चा में है। सरकार इसे “मैं भी चौकीदार’ कैंपेन का रूप दे रही है, वहीं विपक्षी राहुल गांधी ‘चौकीदार चोर है’ का नारा दे रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच इसका बिजनेस कर रहे दुकानदारों की चांदी हो गई है। देशभर में चौकीदार स्लोगन की हजारों टी-शर्ट और कैप रोजाना बिक रही हैं।

द क्लोथिंग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमएआई) ने भास्कर को बताया कि चुनाव के डेढ़ महीने में करीब 1000 करोड़ रुपए की चौकीदार टीशर्ट बिकेंगी। यानी औसत दाम 250 रुपए प्रति टी-शर्ट मानें तो करीब 4 करोड़ टी-शर्ट बिकेंगी। वे कहते हैं हर साल गर्मी में टी-शर्ट की मांग बढ़ती है, परंतु इस बार चुनाव होने से मांग दोगुनी से अधिक बढ़ी है। इसमें भी 70 फीसदी मांग “मैं भी चौकीदार’ टी-शर्ट की है।

2014 में चायवाला कैंपेन को सबसे पहले शुरू करने वाले भाजपा के दिल्ली प्रदेश प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने भी “देश का चौकीदार’ अभियान शुरू कर टी-शर्ट बांटना शुरू किया था। बग्गा बताते हैं, जब राहुल ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया तो मैंने अपनी तरफ से टी-शर्ट बनवाए, जिस पर मोदी की तस्वीर के साथ देश का चौकीदार स्लोगन लिखा है। इस टी-शर्ट को मैं रात 11 बजे से 3 बजे तक सोसायटी, मॉल, अस्पताल जैसी जगहों पर गार्ड को देता हूं। मैं उन्हें कहता कि आप लोग सोसायटी की रक्षा करते हो और मोदी देश के चौकीदार हैं। बाद में एक वेबसाइट (टीशर्टभैया डॉट कॉम) बनाकर उसे ऑनलाइन बेचना भी शुरू कर दिया।

मोदी के 16 मार्च को लाॅन्च मैं भी चौकीदार अभियान से पहले ही उन्हें 100-150 टी-शर्ट के ऑर्डर रोजाना मिलते थे। यह आंकड़ा अब 2500 के करीब हो गया है। सात रंगों में उपलब्ध इन टी-शर्ट की कीमत 295 रुपए है, जिसमें शिपिंग फ्री है। उन्हें करीब 10 लाख रुपए के ऑर्डर मिल चुके हैं। बग्गा कहते हैं कि यह उनका बिजनेस नहीं है, बल्कि ऑनलाइन बिक्री से जो रकम उन्हें फायदे के रूप में मिलती है, उससे वे असली चौकीदारों को मुफ्त में टी-शर्ट देते हैं। शुरुआत में एक महीने तक बग्गा ने 3 हजार चौकीदारों और 2 हजार के करीब रिक्शाचालकों, रेहड़ी, पटरी वालों को मुफ्त में टी-शर्ट बांटी।

मुंबई के मैन्युफैक्चरर सुरजीत दुग्गल कहते हैं कि यह इंडस्ट्री बहुत बड़ी है। मेरा भी अंदाजा है कि पूरे देश में करीब 10 करोड़ से ज्यादा “मैं भी चौकीदार” के टी-शर्ट बनेंगे। “मैं भी चौकीदार” के मैंने जो टी-शर्ट बनाए हैं,उस एक टी-शर्ट की कीमत करीब 140 रुपए प्रिंटिंग के साथ है। मैंने अब तक 5 हजार टी-शर्ट बेचे हैं और अप्रैल के आखिर तक 50 हजार तक का ऑर्डर मुझे पूरा करना है।

अभियान से जुड़ी इन दो बातों को भी जानिए

नमो मर्केंडाइज से भी कमाए 6 माह में 19 करोड़

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 4 मार्च को नमो मर्केंडाइज के नमो रथ को पार्टी के हैडक्वार्टर से रवाना किया था। इसके करीब 200 रथ देशभर में घूम रहे हैं। इस पर नमो अगेन, कीप कॉम ट्रस्ट नमो स्लोगन के साथ मास्क, बैचेज, की रिंग, टी-शर्ट, सर्दियों में हुड्‌डीज बिक रहे हैं। मैं भी चौकीदार अभियान के टी-शर्ट और कैप दोनों इस पर उपलब्ध हैं। चुनावी अभियान के अलावा यह एक व्यापार बन चुका है, जो पिछले 6 महीने में करीब 19 करोड़ रु. के पार पहुंच चुका है।

मैं भी चौकीदार अभियान के पहले दिन ही नमो मर्केंडाइज को टी-शर्ट और टोपी के लिए 4-5 लाख रु. का ऑर्डर मिला। नमो ब्रांड से चल रहा व्यापार पूरी तरह से प्रमोशनल है। इसकी शुरुआत सितंबर 2018 में हुई थी। भाजपा के युवा मोर्चा के कार्यकारिणी सदस्य और नमो मर्केंडाइज के कॉॅर्डिनेटर मनोज गोयल ने इसे शुरू किया था। पहले इसकी थीम- नमो अगेन था। मनोज गोयल का कहना है कि सितंबर 2018 से अब तक वे 9-10 करोड़ की सेल कर चुके हैं।

ट्विटर पर छाया और कॉलर ट्यून भी आई

राहुल गांधी की ओर से चौकीदार चोर है के नारे पर भाजपा पलटवार नहीं कर पा रही थी। पीएम मोदी इस अभियान से बेहद आहत थे। राहुल के आरोपों पर पीएम की प्रोफेशनल टीम ने सर्वे किया और पता लगाया कि इसका क्या असर है। इसमें फीडबैक मिला कि चौकीदार समूह में इससे नाराजगी है और लोग इससे चिढ़ रहे हैं। इस फीडबैक के बाद पीएम मोदी के ओएसडी डॉ. हिरेन जोशी ने कमान संभाली। दो दिन तक रातभर पीएमओ में काम चला और 16 मार्च को ‘मैं भी चौकीदार’ कैंपेन लाॅन्च होने तक किसी को भनक तक नहीं मिल पाई थी। मोदी के इस अभियान ने सोशल मीडिया पर पहले दिन दुनियाभर में पहले पायदान पर ट्रेंड किया तो भारत में लगातार दो दिन नंबर एक पर रहा।

इस टैगलाइन के साथ 20 लाख लोगों ने हैशटेग ट्वीट किया। 1680 करोड़ ट्विटर इंप्रेशन मिले तो 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस वीडियो को देखा और साझा किया। करीब 1 करोड़ लोगों ने नमो एप और सोशल मीडिया के माध्यम से मैं भी चौकीदार की शपथ ली। भाजपा नेताअों ने ट्विटर हैंडल में नाम से पहले चौकीदार शब्द जोड़ लिया। तीन दिन बाद ही भाजपा ने मैं भी चौकीदार की कॉलर ट्यून भी बाजार में उतार दी जो आज भाजपा नेताओं-कार्यकर्ताओं के मोबाइल की धुन बन चुकी है।

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demand for chowkidaar slogan T-shirt and cap of in market

यूनिवर्सल बेसिक इनकम पर 500 साल से चर्चा; कई देशों में लागू करने की कोशिश, पर सब नाकाम


नई दिल्ली.कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के पांच करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72,000 रुपए की न्यूनतम आय देने का वादा किया है। इसे ‘न्यूनतम आय योजना’ (न्याय) नाम दिया गया है और यह यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) से प्रेरित है। गरीबों की आमदनी बढ़ाने के लिए दुनिया का यह कोई पहला प्रस्ताव नहीं है। दरअसल, पहली बार ऐसा प्रस्ताव 1526 में बेल्जियम में लाया गया था। तब से अब तक अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में इसे पूरी तरह या टुकड़ों में लागू करने की कोशिश होती रही है। लेकिन सभी नाकाम ही रही।

राहुल ने कहा है कि देश के 20% गरीब परिवारों को यह राशि दी जाएगी। इस तबके में 12,000 रु. से कम आय वालों को इस योजना का लाभ मिलेगा। अगर किसी व्यक्ति की आय 6,000 रु. मासिक है तो उसे 12,000 रु. तक लाएंगे। इससे ज्यादा इस योजना के बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया है। भाजपा इसे झांसा देने वाली योजना कह रही है। हालांकि इस योजना की जड़ें अपने देश में भी पुरानी है।

2009 में गरीबी रेखा पर बनी तेंदुलकर समिति ने कहा था कि 5 लोगों के एक ग्रामीण गरीब परिवार को सम्मानजनक जिंदगी जीने के लिए हर माह 3905 रु. की जरूरत है और शहर में 4824 रु. की। इस हिसाब से 22% आबादी गरीब है। 2012 में रंगराजन समिति बनी। इसने आबादी के 29.5% (26 करोड़) लोगों को गरीब माना और गरीबी रेखा के लिए नया मानक तय किया। रंगराजन समिति ने गांवों के ऐसे परिवारों को गरीब माना जिनकी आय 4,860 रु. मासिक से कम है।

शहर के लिए यह रकम 7,035 रु. रखी गई। इसीलिए सवाल उठा कि कांग्रेस के वादे में हर महीने 12 हजार रु. से कम आय वालों को योजना का लाभ देने की बात कहां से आई? विशेषज्ञ कह रहे हैं कि देश में 2018 में प्रति व्यक्ति सालाना आय 1,13,000 (करीब 2,000 डॉलर) आंकी गई थी। अब कांग्रेस देश के 20% सबसे गरीब परिवारों की आय काे 2000 डॉलर के इस स्तर तक लाने की बात कर रही है। डॉलर के मौजूदा मूल्य के हिसाब से यह राशि सालाना करीब 1,44,000 रु. या 12,000 रु. मासिक होती है।

यूबीआई की मांग की सबसे अनूठी तस्वीर
स्विट्जरलैंड में 2016 में यूबीआई की मांग के लिए चले आंदोलन में लोगों ने वहां की आबादी के बराबर 5 सेंट के 80 लाख सिक्के इकट्ठा किए और सरकार पर दबाव बनाने के लिए संसद भवन के सामने बिखेर दिए। हालांकि जनमत संग्रह में 77% लोगों ने प्रस्ताव का विरोध किया। स्विस सरकार ने जनता से इस प्रस्ताव का विरोध करने की अपील की थी।

‘न्याय’ और यूबीआई में फर्क है
कांग्रेस की ‘न्याय’ यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) से प्रेरित है। दोनों में फर्क इतना है कि न्याय 20% गरीबों तक सीमित है, जबकि यूबीआई का लक्ष्य सभी गरीबों को इसके दायरे में लाना है। 2016-17 के इकोनॉमिक सर्वे ऑफ इंडिया में यूबीआई की पेशकश की गई थी। इसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार कुल 950 योजनाओं चला रही है। इन पर जीडीपी का करीब 5% खर्च होता है। इन योजनाओं का विकल्प यूबीआई हो सकता है।

विचारक थॉमस मोर ने 16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में बढ़ रही चोरी-डकैती रोकने के लिए यूबीआई की सिफारिश की थी

  • विकसित देशों में 16वीं शताब्दी से ही यूबीआई की चर्चा शुरू हो गई थी। सबसे पहले 1526 में जोहानस लूडोविकस वाइव्स ने बेल्जियम के ब्रुग शहर में इसका विचार रखा। बड़े विचारक जैसे- थॉमस मोर, थॉमस पेन, जॉन स्टूअर्ट मिल और बर्ट्रंड रसेल ने भी यूबीआई की वकालत की।
  • 16वीं शताब्दी में विचारक थॉमस मोर ने इंग्लैंड में चोरी-डकैती पर रोक के लिए यूबीआई की सिफारिश की। आज तकनीकी विकास और बढ़ती बेरोजगारी के कारण यूबीआई पर चर्चा उभरने लगी है।
  • 1970 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने इस पर कानून बनाने की कोशिश की थी। डेनवर और सिएटल जैसे शहरों में यूबीआई को लागू करने का ट्रायल भी किया था, पर सफलता नहीं मिल सकी।
  • 2016 में स्विट्जरलैंड में जनमत संग्रह कराया गया कि सबको 2,500 फ्रैंक हर महीने दिए जाना चाहिए या नहीं। 76.9% जनता ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उनके अनुसार देश में मौजूदा सामाजिक कल्याण व्यवस्था उपयुक्त थी।
  • फिनलैंड में 2017-18 के बीच दो हजार लोगों पर 634 डॉलर प्रति माह देने का प्रोजेक्ट चलाया गया। इसके बाद लोगों के सेहत और जीवनशैली में सुधार देखा गया, पर इनमें से कोई भी अपने लिए काम ढूंढ़ पाने में कामयाब नहीं हुआ। जबकि काम ही योजना का मुख्य लक्ष्य था।
  • फरवरी 2019 में ‘डेवलपिंग इकोनॉमी में यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ नाम से एमआईटी की रिपोर्ट छपी। इसमें यूबीआई के 3 प्रयोगों का उल्लेख किया गया है। ये प्रयोग भारत के मध्य प्रदेश के अलावा नामीबिया और ईरान में हुए। लेकिन इनके परिणामों का कोई आकलन नहीं हुआ। मध्यप्रदेश में चले प्रोजेक्ट के मामले में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर गाई स्टैंडिंग का मानना था कि इन परिवारों में बच्चों की स्थिति में खासा सुधार देखने को मिला।

न्याय के पक्ष में तर्क-महंगाई और नशा बढ़ने के सबूत नहीं मिले

न्याय से लोग नकारे हो जाएंगे
जवाब :
एलएसई के प्रोफेसर गाई स्टैंडिंग अपनी किताब ‘बेसिक इनकम’ में कहते हैं- इस आधार पर विरासत में मिली संपत्ति का भी विरोध किया जाना चाहिए, क्योंकि वो भी मुफ्त में मिलती है।

आय बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी
जवाब:
फ्रॉम एविडेंस टू एक्शन नामक युनिसेफ की रिपोर्ट का कहना है कि अफ्रीका में कैश ट्रांसफर प्रयोगों से मांग बढ़ने से रोजगार बढ़ते हैं। महंगाई बढ़ने का कोई प्रमाण नहीं मिला है।

शराब, तंबाकू पर खर्च बढ़ेगा
जवाब :
सुब्रमणियम स्वामी की अध्यक्षता में 2016-17 में किए गए इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि सांख्यिकी तथ्य उपलब्ध नहीं हैं कि आय बढ़ने से शराब और तंबाकू पर खर्च बढ़ता है

इससे टैक्स बढ़ सकता है

जवाब :कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर न्याय योजना लागू होती है तो टैक्स की दरों में बढ़ोतरी हो सकती है। 0.1% अमीरों पर वेल्थ टैक्स और अमीर किसानों पर भी टैक्स लग सकता है।

देश को यूनिवर्सल बेसिक इनकम की जरूरत है! गरीब की दैनिक आय 20 साल में 78 रु. ही बढ़ी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की ‘न्याय’ योजना के कारण यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) फिर चर्चा में है। 2016-17 के इकोनॉमिक सर्वे में भी इसको लेकर सिफारिश की गई थी। दरअसल आजादी के बाद से ही हमारी आर्थिक नीतियां गरीबों का जीवन स्तर उठाने में ज्यादा कारगर नहीं रही हैं। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के मुताबिक भारत में दो दशक में गरीबों की दैनिक आय महज 78 रु. ही बढ़ पाई है।

न्यूतम आया

कृषि क्षेत्र में कमाई बढ़ने की दर 1983 में5.1% थी 2011 में2.7% रह गई

  • अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने अपनी किताब ‘एन अनसर्टेन ग्लोरी’ में भारत और चीन के उद्योग क्षेत्र में कामगारों की आय की तुलना की है। उन्होंने बताया कि 1981 में बेस आय अगर 100 रु. मासिक थी तो 1989 तक दोनों ही देशों में यह आय बराबर रही। पर 2005 में चीनी कामगार की मासिक आय 700 रु. पर पहुंच गई, जबकि भारत में यह मुश्किल से 150 रु. तक ही पहुंची।
  • कृषि क्षेत्र में भारत में कमाई बढ़ने की दर 1983 से 87 के बीच 5.1% प्रतिवर्ष रही। पर 1987 से 1993 के बीच यह घटकर 2.7% पर आ गई। 1993 से 1999 के बीच गिरावट बरकरार रही और यह दर 1.3% रह गई। 2000 से 2006 के बीच कमाई बढ़ने की दर मात्र 0.1% ही रह गई थी। 2006 से 2011 के बीच नरेगा की मदद से यह दर 2.7% पर आई पाई।
  • अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1993-94 में सांसद, विधायकों, उच्च अधिकारियों की रोज की औसत कमाई 530 रुपए से बढ़कर 2011-12 में 1052 रुपए हो गई। जबकि कृषि श्रमिकों की आय 120 रुपए से 170 रुपए पर ही पहुंच पाई। मशीन ऑपरेटर की आय 176 रुपए से 254 रुपए ही हो पाई। यानी दो दशक में बढ़त महज 78 रुपए की।

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