जेटली के फर्जी लेटरहेड और दस्तखत से हैदराबाद के व्यापारी से ठगे 20 करोड़ रुपए


नई दिल्ली (नीरज आर्या).भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के नाम पर 20 करोड़ रुपए ठगे जाने का एक मामला सामने आया है। इस जालसाजी के लिए बाकायदा वित्त मंत्रालय के लेटरहेड और वित्त मंत्री जेटली के फर्जी हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया गया। दिल्ली पुलिस आयुक्त को इस मामले की शिकायत जनवरी में भेजी गई थी।

गहन छानबीन के बाद इस मामले में मार्च में आर्थिक अपराध शाखा ने विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया। पीड़ित मूलरूप से हैदराबाद का रहने वाला है। हालांकि, अभी तक हुई जांच में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। बेहद हाई प्रोफाइल मामला होने की वजह से पुलिस अधिकारी इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। लेकिन उनकी ओर से इस मामले की पुष्टि जरूर की गई है।

जनवरी में भेजी गई थी पुलिस आयुक्त को ठगी की शिकायत

ऐसे दिया अंजाम: वित्त मंत्रालय के अप्रूवल वाले 3 लेटर भेजे

तेलंगाना के हैदराबाद में रहने वाले तारकनाथ की मुलाकात 4 वर्ष पहले जगदीश बोलापति और प्रसाद कुरुपा राव बोलापति नाम के दो लोगों से हुई थी। दोनों ने तारक नाथ को बताया कि वे आईपीएमईओआरजी नाम के एक संस्थान से जुड़े हुए हैं और जल्द ही अमेरिका के टेक्सास स्थित एक संस्थान इंटरनेशनल प्रेशियस मेटल इंस्टीट्यूट के साथ डील कर 80 हजार करोड़ रुपए के एक प्रोजेक्ट की शुरुआत करने वाले हैं।

दोनों ने तारकनाथ को बताया कि इस प्रोजेक्ट में वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल अप्रूवल भी मिल गई है। जगदीश और प्रसाद ने तारकनाथ को भी इसमें शामिल होने का लालच दिया। दोनों ने तारक के पास वित्त मंत्रालय की अप्रूवल के 3 लेटर भी भेजे। ये लेटर बाकायदा वित्त मंत्रालय के लेटरहेड पर तैयार किए गए थे और इन पर अरुण जेटली के हस्ताक्षर भी थे। लेटर मिलने के बाद तारकनाथ ने दोनों के बताए अकाउंट में 20 करोड़ ट्रांसफर कर दिए।

ऐसे खुला राज:सच्चाई का पता लगाने को ओएसडी से संपर्क किया

20 करोड़ रुपए जमा करने के बाद तारकनाथ को एक अन्य लेटर वित्त मंत्रालय में सेक्शन ऑफिसर शंभू के नाम से मिला। उसमें 4 करोड़ रुपयों की मांग की गई। इस पर पीड़ित काे संदेह हुआ। सच्चाई का पता लगाने के लिए उसने वित्त मंत्रालय के ओएसडी से संपर्क किया। मेल कर तीनों लेटर भी भेज दिए। मंत्रालय में इन तीनों पत्रों की खबर से हड़कंप मच गया। न केवल वित्त मंत्री अरुण जेटली बल्कि सेक्शन ऑफिसर शंभू के हस्ताक्षर भी फर्जी मिले। इस मामले से वित्त मंत्रालय की ओर से गृह मंत्रालय को अवगत करवाया गया।

गृह मंत्रालय के सीआईएस डिवीजन ने अपने स्तर पर पड़ताल करने के बाद मामले को फर्जी पाया। इसके बाद पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को 11 जनवरी को शिकायत भेजी गई। लगभग 50 दिन की शुरुआती तहकीकात के बाद आर्थिक अपराध शाखा ने इस बाबत आईपीसी की धारा 420, 468, 471 व 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया। मामले में शिकायतकर्ता सीआईएस डिवीजन में तैनात सेक्शन ऑफिसर केजी सन्नी बने हैं। पुलिस के अलावा इस केस की जांच आईबी को भी सौंपी गई है।

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Rs 20 crore cheat from businessman by Arun Jatley’s false letterhead and signature

ओडिशा में मोदी और पटनायक के बीच ही मुकाबला, राहुल इससे दूर


आशुतोष मिश्रा, भुवनेश्वर.ओडिशा के हाई वोल्टेज चुनावी समर में केंद्र का राज्य से और मोदी का पटनायक से मुकाबला ही मुद्दा है। ये दोनों ही नेता भाजपा और बीजद के पोस्टर-बैनरों पर छाए हैं। इनके मुकाबले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पोस्टर भुवनेश्वर व कटक में काफी कम हैं। गांवों में भी लोग मोदी व पटनायक की संभावनाओंकी चर्चा कर रहे हैं। राहुल इन बहस से दूर हैं। 19 सालों से मुख्यमंत्री बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष नवीन पटनायक 2014 में मोदी लहर को ओडिशा में रोकने में कामयाब रहे थे। बीजद ने यहां की 21 में से 20 लोकसभा सीट जीती थी। एक सीट भाजपा को मिली थी और कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी थी।

पटनायक फिर इस प्रदर्शन को दोहराना चाहते हैं, लेकिन इस बार भाजपा भी ओडिशा में कमल खिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों दलों के बीच पहले से ही आरोप-प्रत्यारोप शुरू थे और अब ये और तेज हो रहे हैं। बीजद ने मोदी पर जानबूझकर राज्य को नजरअंदाज करने और विशेष दर्जे की मांग पूरा नहीं करने का आरोप लगाया है। जबकि भाजपा मुख्यमंत्री को झूठा करार देते हुए केंद्र के साथ सहयोग नहीं करने का हवाला दे रही है। पटनायक ने राज्य को वित्तीय स्वायत्तता देने की मांग भी रख दी है। बीजद सचिव बिजय नायक कहना है कि केंद्र हमारी मदद नहीं कर सकता तो उसे हमें वित्तीय स्वायत्तता देनी चाहिए। हम अपने पैसे से अपना काम चला लेंगे।

राज्य सरकार और केंद्र मसलों को लेकर टकरा भी रहे हैं। प्रधानमंत्री ने हाल के दौरे में केंद्रीय आयुष्मान भारत योजना की बजाय बीजू स्वास्थ्य कल्याण योजना लागू करने पर पटनायक सरकार की आलोचना की है। बीजद नेताओं का कहना है कि उनकी योजना केंद्रीय योजना की तुलना में ज्यादा बेहतर है और उसकी पहुंच भी ज्यादा है। भाजपा नेता और पदमपुर के विधायक प्रदीप पुरोहित का कहना है कि ओडिशा सरकार केंद्र की योजनाओं को नजरअंदाज कर रही है। इससे राज्य के लोगों का ही नुकसान होगा।

नवीन पटनायक ने किसानों के लिए कृषक असिस्टेंस फार लाइवलीहुड एंड ऑगमेंटेशन (केएएलआईए) योजना शुरू की है। इसमें बंटाई पर खेती करने वाले व भूमिहीन कृषि मजदूर भी शामिल हैं। लेकिन, वह केंद्र की पीएम किसान योजना को लागू करने में हिचकिचाते रहे और कई बार कहने के बाद ही लाभान्वित किसानों की सूची केंद्र को भेजी। केंद्र व राज्य के बीच बढ़ते मतभेद ही इस चुनाव का मुख्य मुद्दा है। बीजद इसे राज्य के सम्मान से जोड़ रही है। बिजय नायक कहते हैं कि नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक ने उड़िया सम्मान की लड़ाई लड़ी थी। मुख्यमंत्री भी पिता के पद चिन्हों पर चल रहे हैं। लोग उन्हें फिर समर्थन देंगे।

राज्य में क्षेत्र आधारित मुद्दे हैं। पश्चिम ओडिशा के पांच पश्चिमी संसदीय क्षेत्र कालाहांडी, बोलनगीर, संभलपुर, बारगढ़ और सुंदरगढ़ लगातार सूखे से प्रभावित हैं। यहां किसानों की आत्महत्याएं प्रमुख मुद्दा है। सरकार ने खुद माना है कि 2013 से 2018 के बीच 227 किसानों ने आत्महत्या की है। ज्यादातर पश्चिमी इलाके से हैं, जहां सिंचाई के संसाधन बहुत ही कम हैं।

कालाहांडी के कुछ हिस्सों को छोड़ दे तो यहां सिंचाई योजना नहीं है। 1340 करोड़ की गंगाधर मेहर लिफ्ट सिंचाई परियोजना शुरू नहीं हुई है। 15 जिलों में पानी देने वाला हीराकुंड बांध का जलस्तर महानदी पर छत्तीसगढ़ में बांध व बैराज बनने से प्रभावित हुआ है। दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे का विवाद पंचाट के सामने है।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने से विकट स्थिति हो गई है। कांग्रेस के पूर्व विधायक लतेन्दु महापात्रा कहते हैं कि हमारी सरकार मसले को हल करने की कोशिश करेगी। कटक समेत नौ तटीय लोकसभा क्षेत्रों में महानदी विवाद मुद्दा रहेगा। जाति ओडिशा में चुनावी मुद्दा नहीं रही। इस बार माओवादियों के प्रभाव वाले कंधमाल और कोरापुत के कुछ क्षेत्रों में जनजातियां सरकार के खिलाफ हो सकती हैं। सड़क संपर्क न होने और विकास की कमी की वजह से लोग नाराज हैं। उनकी जिंदगी मुश्किल हुई है, वे माओवादियों की हिंसा का भी शिकार हो रहे हैं। कांग्रेस के प्रभाव वाले इस आदिवासी क्षेत्र में कांग्रेस को फायदा हो सकता है।

राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर आनंद मिश्रा कहते हैं कि चुनाव बीजद और भाजपा के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई है। यह दो व्यक्तियों (नरेंद्र मोदी और नवीन पटनायक) और उनके विकास के एजेंडे का संघर्ष भी है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार बालाकोट हमले के बाद मोदी यहां ज्यादा पॉपुलर हुए हैं, लेकिन नोटबंदी व जीसएटी को आम लोगों ने पसंद नहीं किया है। जहां तक मुद्दों और पॉपुलरटी का सवाल है तो अभी पटनायक आगे दिखते हैं।

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Modi-Patnaik’s fight between Odisha and Rahul, away from it

तेलंगाना में पाला बदल टीआरएस में गए विधायक, वोटर बोले- ये धोखा


शशिभूषण, खम्मम.खम्मम से इलेंदू कोयला खदान की ओर जाने वाली सड़क से थोड़ी ही दूर शूबबूल के खेत दिखे। शूबबूल वही जो कागज बनाने में इस्तेमाल होता है। यहां किसान बातचीत में मशगूल दिखे। इन्हीं में से एक टी सीताराम थोड़ा गरजकर तेलुगु मिश्रित टूटी-फूटी हिंदी में बोले- जिन्हें हमने चुना था, वही धोखेबाज निकले। पता चला गुस्सा शूबबूल और यूकेलिप्टस का उचित दाम न मिलने काे लेकर है। यह गुस्सा तब है जबकि यहां मुफ्त में खेती के लिए बिजली और सालाना आठ हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से सरकारी सहायता दी जा रही है।

धोखेबाज कैसे निकले?…का जवाब देते हुए सीताराम बोले- इन्होंने लड़ाई लड़ने के बदले पाला ही बदल लिया। दरअसल, खम्मम जिले का सबसे बड़ा अफसोस यही है। कई गैर टीआरएस विधायक अब टीआरएस में आ चुके हैं। यानी सत्ताधारी दल के साथ।

आंध्र से सटे तेलंगाना के सीमावर्ती नगरकुरनूल, नलगोंडा, खम्मम और महबूबाबाद की हवा दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों मे सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति के अनुकूल नहीं थी। अलग तेलंगाना का उबाल भी यहां कभी नहीं रहा। यहां कम्मा जाति का सबसे अधिक प्रभाव है जिसका बड़ा तबका टीडीपी और वाईएसआरसीपी से जुड़ा रहा। विधानसभा चुनाव में टीआरएस को खम्मम, नलगोंडा में इसी वजह से उतनी मदद नहीं मिली, दूसरी बड़ी वजह शूबबूल किसानों का सवाल रहा।

शूबबूल की खेती कागज बनाने वाली आईटीसी भद्राचलम की पहल पर हुई थी। खेत में फसल 4 साल से खड़ी है। कंपनी को वन विभाग से 4500 रुपए टन की दर से कच्चा माल जा रहा है। किसानों को इस रेट पर फसल बेचने पर एतराज है क्योंकि घाटा 1200 से 1500 रुपए प्रति टन हो रहा है। कम कीमत से नाराज किसान 1 अप्रैल से आईटीसी भद्राचलम के गेट पर ही कच्चे माल के ट्रकों को राेकेंगे।

सेव फार्मर्स कमेटी के अध्यक्ष वी. श्रीनिवास कहते हैं, जिस पार्टी के मेनिफेस्टो में हमारा दर्द शामिल होगा उसी को वोट मिलेगा। नहीं तो हम भी पर्चा भरेंगे। निजामाबाद की तर्ज पर किसानों ने यहां 100 से ज्यादा नामाकंन खरीदे थे। यहां किसानों का एक गुस्सा और है। वो है खम्मम-देवरापल्ली ग्रीन फील्ड स्टेट हाइवे। इस प्रोजेक्ट में 10 मंडल की 2000 एकड़ जमीन जा रही है। विधानसभा चुनावों में टीआरएस खम्मम जिले की पांच सीटों में से सिर्फ एक सीट जीत पाई थी।

यहां बस स्टैंड के पास चाय की दुकान पर लोग बहस में जुटे थे। खांटी तेलुगू में। मैंने दुकानदार श्रीनिवास से पूछा-लोग क्या कह रहे हैं? पूरी बात न बताते हुए भावार्थ समझाते हुए बोला- टीआरएस के लिए यहां हवा विपरीत है। पार्टी ने यहां पोलित ब्यूरो मेंबर नामा नागेश्वर राव को टिकट दिया है। नामा की गिनती देश के सबसे धनाढ्य नेताओं में होती है। उनके सामने कांग्रेस ने रेणुका चौधरी को उतारा है वे 2004 का चुनाव यहां से जीत चुकी हैं। दोनों कम्मा बिरादरी से हैं। अंतर बस यह है कि नामा का घर खम्मम में है तो चौधरी का घर अब आंध्रप्रदेश में।

नलगोंडा में कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्‌डी को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस को विधायकों के पाला बदलने से झटका लगा है। उत्तम, हुजूरनगर के विधायक हैं। नलगोंडा के एक ओर नगरकुरनूल है तो दूसरी ओर खम्मम संसदीय क्षेत्र। कांग्रेस ने उत्तम को चुनाव इसीलिए लड़ाया है कि असर आजू-बाजू की सीटों पर भी पड़ेगा।

नगरकुरनूल में कांग्रेस ने इस बार प्रत्याशी बदल दिया है। नंदी इलैया की जगह प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष मल्लू रवि पर दांव खेला है। संसदीय क्षेत्र के सात में से छह विधानसभा क्षेत्रों पर टीआरएस के विधायक हैं। इतना ही नहीं, सातवीं सीट कोल्लापुर से जीते बी हर्षवर्धन रेड्‌डी भी अब टीआरएस में हैं। इलाके में प्रभाव रखने वाली पूर्व मंत्री डीके अरुणा भी कांग्रेस से नाता तोड़ चुकी हैं। अरुणा अब महबूबनगर संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी हैं।

महबूबाबाद में टीआरएस और कांग्रेस के बीच लड़ाई सीधी है। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को यहां सात में से 4 सीटों पर सफलता मिली थी। इनमें से दो कांग्रेसी विधायक पाला बदल टीआरएस की ओर आ चुके हैं। उधर, भोंगीर सीट पर मुख्य मुकाबला टीआरएस के मौजूदा सांसद बी. नरसैया गौड़ और कांग्रेस के के. वेंकट रेड्‌डी के बीच है। टीआरएस सांसद जहां केसीआर के भरोसे हैं तो कांग्रेस की उम्मीद गुटबाजी खत्म होने पर टिकी है।

वारंगल का नाम कभी हनामकोंडा हुआ करता था। छठवीं और सातवीं लोकसभा में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव यहीं से जीते थे। कभी चरम नक्सली गतिविधियां झेलने वाले इस इलाके के अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में टीआरएस की मजबूत पकड़ है। यहां भी सीधी लड़ाई टीआरएस और कांग्रेस के बीच ही है।

सबसे बड़ा फैक्टर क्या रहेगा?

मुद्दे जो सबसे असरदार होंगे?

  • केसीआर : यहां चर्चा है सर्वाधिक सांसद होने के बावजूद केसीआर तेलंगाना को कुछ नहीं दिला पाये। उन्होंने भाजपा से हाथ मिला रखा है। वहीं, टीआरएस यहां गैर-भाजपा, गैर-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए समर्थन मांग रही है।
  • पानी : नगरकुरनूल सीट टीआरएस कभी नहीं जीत पाई। 2009 और 2014 के चुनाव में पार्टी यहां दूसरे स्थान पर थी। इस बार टीआरएस को उम्मीद है कि सीट उसकी झोली में आएगी क्योंकि महात्मा गांधी कलवाकुर्थी लिफ्ट इरिगेशन से खेतों तक उसने पानी जो पहुंचाया है। पार्टी यहां अपनी सिंचाई योजनाआें के अलावा शादी मुबारक जैसी योजनाओं का जमकर प्रचार कर रही है।
  • आरक्षण : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उत्तम कुमार रेड्‌डी कहते हैं सवर्ण आरक्षण के लिए संविधान संशोधन की तर्ज पर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण की सीमा 6 से बढ़ाकर 10% की जाएगी। दरअसल यह वादा मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का था जो अब तक पूरा नहीं हो सका है।

इस बार यहां टीडीपी और वाईएसआरसीपी नहीं होंगे

  • यहां टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस (जगन रेड्‌डी) का भी सीमित प्रभाव रहा है। दोनों दल इस बार तेलंगाना में चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। टीडीपी ने तेलंगाना में कांग्रेस को अघोषित समर्थन दे रखा है। लिहाजा दक्षिणी तेलंगाना में टीआरएस का मुकाबला कांग्रेस से है।
  • प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को तेलंगाना में थे। मोदी ने तेलंगाना में भाजपा के लाेकसभा चुनाव अभियान का शुभारंभ किया। केसीआर पर जमकर हमले किए। उन्हें वंशवाद का चेहरा बताया।

2014 की स्थिति

सीट विजयी दल
खम्मम वाईएसआर कांग्रेस
नलगोंडा कांग्रेस
महबूबाबाद टीआरएस
नगरकुरनुल कांग्रेस
वारंगल टीआरएस
भोंगिर टीआरएस

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प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को तेलंगाना में चुनाव अभियान का आगाज किया। केसीआर पर जमकर हमले किए। उन्हें वंशवाद का चेहरा बताया।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा- पुलवामा में 40 जवान शहीद हुए, मुझे इस पर संदेह


श्रीनगर.नेशनल काॅन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने पुलवामा हमले और भारत के मिशन शक्ति पर सवाल उठाए। उन्हाेंने दावा किया कि असली मुद्दाें से ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसे हालात पैदा किए। श्रीनगर में पार्टी कार्यकर्ताओंकी सभा में कहा कि छत्तीसगढ़ में कितने जवानशहीद हुए, मोदी कभी फूल चढ़ाने गए? पुलवामा में 40 जवान शहीद हुए, जिसे लेकर मुझे कई संदेह हैं, माेदी ने तूफान खड़ा कर दिया। पाकिस्तान पर हमले का प्रयास किया।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ”मिशन शक्ति का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जाता है। वो मिसाइल जो सैटलाइट को मारने के लिए छोड़ा था, उसे मनमोहन सिंह ने ही तैयार कराया था। लेकिन चुनाव में दिखाने के लिए, हनुमानजी तशरीफ लाए और बटन दबाया।”

गलत बटन दबा और हेलिकॉप्टर क्रैश: फारुक
फारूक ने कहा कि एक बटन गलत दब गया और कश्मीर में हेलिकॉप्टर गिर गया। इसमें हमारे छह जवान शहीद हो गए और एक नौजवान की भी जान चली गई। फारुक 27 फरवरी को बड़गाम में वायुसेना के एमआई-17 हेलिकॉप्टर के क्रैश होने का जिक्र कर रहे थे। हादसे के 32 दिन बाद भी हेलिकॉप्टर का ब्लैक बॉक्स नहीं मिल पाया है। वायुसेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया गया है कि हेलिकॉप्टर क्रैश होने से पहले भारत की ओर से एक मिसाइल दागी गई थी। वायुसेना अधिकारियों का कहना है कि जांच पूरी होने पर ही हादसे को लेकर स्थिति साफ हो पाएगी।

370 खत्म तो भारत और कश्मीर का रिश्ता भी खत्म: महबूबा
दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 पर मोदी सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर अनुच्छेद 370 खत्म तो कश्मीर और भारत का रिश्ता भी खत्म हो जाएगा। महबूबा का यह बयान अनुच्छेद 35ए पर केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की टिप्पणी के बाद आया। जेटली ने गुरुवार काे कहा था कि अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास में बाधक है।

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फारूक अब्दुल्ला। -फाइल

दैनिक भास्कर लेकर आया है नया खेल; 100 रन के कूपन चिपकाएं, करोड़ों के इनाम पाएं


भोपाल.क्रिकेट का मौसम शिखर पर है। इस मौसम में दैनिक भास्कर अपने पाठकों के लिए लाया है नया खेल- ‘100 रन बनाओ और करोड़ों के इनाम पाओ।’

  • इस खेल में 30 कूपनाेंके एक फॉर्मेट का प्रकाशन होता है। यह फॉर्मेट एक बार छप चुका है। अगले सप्ताह दोबारा छपेगा।
  • अखबार में हर दूसरे दिन एक कूपन का प्रकाशन गेंद के रूप में हो रहा है, जिसमें 1 से 6 रन में से कोई एक अंक छपा होता है। आपको कुल 30 कूपनों को काटकर उनसे 100 रन या उससे अधिक बनाने हैं और इस फॉर्मेट में चिपकाने हैं।
  • रनों के कूपनों का प्रकाशन हर दूसरे दिन जारी है। जब आपका फॉर्मेट पूरा हो जाए, अपने पास रख लें।
  • यदि आपने फॉर्मेट काट लिया है और रन चिपका रहे हैं तो रन बनाते रहिए। और यदि आप इस खेल में अब तक शामिल नहीं हुए हैं तो अगले सप्ताह प्रकाशित होने वाला फॉर्मेट काटें। रनों के कूपन इकट्‌ठे करें और फिर फॉर्मेट में 30 कूपन चिपकाकर 100 या इससे अधिक रन बनाएं और करोड़ों के इनाम पाने के हकदार बनें।
  • प्रतियोगिता फॉर्मेट जमा कराने की अवधि 21 जून से 5 जुलाई 2019 तक होगी। 14 जुलाई से 31 जुलाई के बीच विजेताओं की घोषणा होगी और पुरस्कार दिए जाएंगे।इस खेल में भाग लेने में आपको कोई समस्या आ रही हो तो आप हमें 8955008888 पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं।

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कल्याण सिंह के मोदी के समर्थन में दिए बयान पर आयाेग काे रिपाेर्ट, फैसला अगले हफ्ते संभव


नई दिल्ली (हेमन्त अत्री).राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में दिए बयान पर अलीगढ़ के निर्वाचन अधिकारी की रिपाेर्ट चुनाव आयाेग काे मिल गई है। इस मामले में आयोग अगले सप्ताह काेई फैसला ले सकता है।

राज्यपाल के नाते कल्याण सिंह एक संवैधानिक पद पर हैं। ऐसे में चुनाव आयोग उनके बारे में कोई भी फैसला लेने से पहले रिपाेर्ट के हर पहलू और पिछले उदाहरणों का अध्ययन कर रहा है। संवैधानिक संस्था के नाते आयाेग के लिए संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के बारे में फैसला लेना कठिन है। संकेत हैं कि अलीगढ़ के निर्वाचन अधिकारी की रिपाेर्ट के अध्ययन के बाद आयोग कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति को लिख सकता है। कल्याण ने 23 मार्च को अलीगढ़ में मीडिया से बातचीत में कहा था कि सभी मोदी की जीत चाहते हैं। यह देश के लिए जरूरी है। हम सब भाजपा कार्यकर्ता हैं और इस नाते जरूर चाहेंगे कि भाजपा जीते और माेदी एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनें। जानकाराें के अनुसार संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति किसी भी राजनीतिक दल के बारे में इस तरह खुलकर बयान नहीं दे सकता। यह सीधे तौर पर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।

हिमाचल के राज्यपाल को देना पड़ा था इस्तीफा

पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन की सख्ती के चलते हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे गुलशेर अहमद को इस्तीफा देना पड़ा था। नवंबर 1993 में अहमद के बेटे ने मध्यप्रदेश के सतना से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा था।राज्यपाल पर पद का दुरुपयाेग कर चुनाव में बेटे की मदद का आरोप लगा था। शेषन ने कड़ा रुख अपनाते हुए सतना में चुनाव ही स्थगित कर दिया था। इसके बाद गुलशेर को इस्तीफा देना पड़ा था। ऐसे ही एक मामले में चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी को निलंबित करने के पुड्डुचेरी के उपराज्यपाल के आदेश पर दो साल पहले आयोग ने महज इस आधार पर राेक लगा दी थी कि इसे लेकर आयोग से राय नहीं ली गई थी।

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Decision on Kalyan Singh’s statement in support of Modi next week

एमआई17 का ब्लैक बाॅक्स गायब, रिपाेर्ट में दावा- क्रैश होने से पहले भारत ने मिसाइल दागी थी


नई दिल्ली.श्रीनगर के पास बडगाम में 27 फरवरी काे क्रैश हुए वायुसेना के एमआई17 हेलीकाॅप्टर का ब्लैक बाॅक्स अभी तक नहीं मिला है। वायुसेना अभी इसे ढूंढने में जुटी है। वायुसेना के सूत्राें ने आशंका जताई कि शायद हेलीकाॅप्टर के पुर्जे उठाकर भागे स्थानीय लाेग ब्लैग बाॅक्स भी ले गए। पाकिस्तान के बालाकाेट में एयर स्ट्राइक के अगले दिन हुए इस हादसे में छह लाेग मारे गए थे।

एमआई17 हेलीकाॅप्टर ने 27 फरवरी काे श्रीनगर से उड़ान भरी थी। उसी दाैरान पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमले का प्रयास किया था। मीडिया रिपाेर्ट्स में दावा किया गया है कि हेलीकाॅप्टर हादसे से ठीक पहले भारत ने एयर डिफेंस मिसाइल दागी थी। रिपाेर्ट में कई कड़ियां जाेड़कर सवाल उठाया गया है कि कहीं यह हेलीकाॅप्टर भारतीय मिसाइल का ही निशाना ताे नहीं बना है। इसके अनुसार 27 फरवरी को एयर डिफेंस सिस्टम ने सीमा के पास पाकिस्तानी वायुसेना के 25 लड़ाकू विमान डिटेक्ट किए थे। इसके बाद मिसाइल एक्टिवेट की गई।

एमआई17 दुनिया के अत्याधुनिक हेलीकाॅप्टराें में से एक है। आमतौर पर इसमें घातक तकनीकी दिक्कतें नहीं हाेतीं। चश्मदीदों ने दावा किया कि हादसे से पहले उन्होंने हवा में तेज धमाका सुना था। रिपाेर्ट में अंदाजा लगाया गया है कि हेलीकाॅप्टर हादसे के लिए कोई तकनीकी नहीं बल्कि बाहरी कारण जिम्मेदार था। वायुसेना अभी इस हादसे के कारणाें की जांच में जुटी है।

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MI-17 helicopter black box missing

एनटीआर होते थे चैतन्य रथम से प्रकट, जनता हो जाती थी मुग्ध


29 मार्च 1982 का दिन।नंदमूरी तारक रामाराव यानी आंध्र के लोकप्रिय एनटीआर ने इसी दिन तेलुगु के सम्मान के मुद्दे पर तेलुगुदेशम पार्टी का गठन किया था। चुनाव इसी साल के आिखर में था। एनटीआर ने धुंआधार प्रचार शुरू किया। जरिया बना-चैतन्य रथम। यह देश के इतिहास की पहली रथयात्रा थी। शेवरले वैन को मॉडिफाई करवाकर रथ बनवाया गया था। फिल्मी स्टाइल में चारों ओर घूमने वाली फ्लड लाइट्स, माइक और स्पीकर के बीच जब एनटीआर भगवा पहनकर चैतन्य रथम के बीचों-बीच से निकलकर वैन के ऊपर आते थे तो आंध्र मुग्ध हो जाता था। एनटीआर रोज करीब डेढ़ सौ किमी सफर करते। खेतों में काम कर रहे लोगों से मिलते। रैलियां करते। एक दिन में सौ-सौ जगह रुकते। रथ ही उनका प्रचार कार्यालय, घर, मंच सबकुछ था। एनटीआर का इतना क्रेज था कि लोग 72-72 घंटे उनका इंतजार करते। एनटीआर जब आते तो महिलाएं उनकी आरती उतारतीं। एनटीआर ने 75 हजार किमी की यात्राएं की। चुनाव में एनटीआर को 294 में से 199 सीटें मिलीं। वे आंध्र के 10वें और पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने।

सबसे चर्चित रही आडवाणी की राम रथ यात्रा

25 सितंबर 1990 को तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने रामरथ यात्रा शुरू की। उद्देश्य सोमनाथ से अयोध्या तक रथ के जरिए जाना था। टोयोटा मिनी बस को रथ का रूप दिया गया। गुजरात, कर्नाटक, आंध्र और उत्तरप्रदेश में दंगे हो गए। रथयात्रा जब समस्तीपुर पहुंची तो आडवाणी को लालू यादव ने गिरफ्तार करवा लिया। रथ यात्रा ने भाजपा की सीटें 1991 के चुनाव में 85 से बढ़ाकर 120 तक पहुंचा दीं।

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Country’s first rath yatra

ईडी ने दीपक तलवार की 120 करोड़ रु. की संपत्ति जब्त की


नई दिल्ली.प्रवर्तन निदेशालय ने कॉरपोरेट लॉबिस्ट तथा मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किये गए दीपक तलवार की 120 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली है। तलवार के दिल्ली के एयरोसिटी में बने होटल हॉलिडे इन को अटैच कर दिया गया है।

आपको बता दें कि दीपक तलवार पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय, राजनैतिक नेताओं और अन्य लोगों से सांठ-गांठ के जरिए विदेशी एयरलाइंस को फायदा पहुंचाने और एयर इंडिया को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। साल 2017 में दीपक तलवार देश छोड़कर भाग गया था। इसी साल 31 जनवरी को दुबई से प्रत्यर्पण कर उसको भारत लाया गया था। जिसके बाद गिरफ्तारी हुई थी।

दूसरी तरफ, दीपक तलवार मामले में ईडी ने पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की है। चार्जशीट में दीपक तलवार के साथ उसके बेटे आदित्य तलवार को आरोपी बनाया गया है। अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।

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ED Seized Rs 120 crore property of Deepak Talwar

भारत समेत 187 देशों के 7 हजार से ज्यादा शहरों में मनाया अर्थ ऑवर


नई दिल्ली/सिडनी.ऊर्जा की बचत कर धरती को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से शनिवार को दुनियाभर में अर्थ ऑवर मनाया गया। इस दौरान भारत में राजधानी दिल्ली में 8.30 बजे से 9.30 बजे तक प्रमुख इमारतों और प्रतिष्ठानों की लाइटें बंद रहीं।

इस साल ‘अर्थ ऑवर’ की थीम ‘जीने का तरीका बदलो’ है। इसमें 187 देशों के सात हजार से ज्यादा शहरों ने हिस्सा लिया। दिल्ली में राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, चारमीनार, विक्टोरिया टर्मिनस और दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर, तो मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया की लाइट बंद रही। पेरिस के एफिल टॉवर, न्यूयॉर्क की एंपायर स्टेट बिल्डिंग, दुबई का बुर्ज खलीफा और एथेंस में एक्रोपोलिस, ऑस्ट्रेलिया का सिडनी ओपेरा हाउस और हार्बर ब्रिज उन 24 वैश्विक स्थलों में से हैं, जो अर्थ ऑवर में शामिल हुए।

अर्थ आवर का यह 13 वां संस्करण ग्रीन ग्रुप डब्ल्यूडब्ल्यूएफ द्वारा आयोजित किया जाएगा। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-ऑस्ट्रेलिया के सीईओ डर्मोट ओ गोरमैन ने बताया- ‘अर्थ ऑवर अभी भी लोगों के लिए जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने के लिए दुनिया का सबसे बड़ा जमीनी स्तर का आंदोलन है’।

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मुंबई के सीएसटी रेलवे स्टेशन पर अर्थ ऑवर के चलते लाइटें बंद की गईं।