न्यूज डेस्क। मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ चल रहा कोर्ट मार्शल पूरा हो चुका है। अब उनकी वरिष्ठता में कमी की जा सकती है। पिछले साल श्रीनगर की एक महिला के साथ दोस्ती बढ़ाने के आरोप में आर्मी गोगोई के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई कर रही थी। जानिए आखिर क्या होता है कोर्ट मार्शल। इस बारे में जानने के लिए हमने कई कोर्ट मार्शल कर चुके आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल के मेंबर और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग से बात की।
क्या होता है कोर्ट मार्शल
– यह एक तरह की कोर्ट होती है। जो खास आर्मी कर्मचारियों के लिए होती है। इसका काम आर्मी में अनुशासन तोड़ने या अन्य अपराध करने वाले आर्मी मैन पर केस चलाना, उसकी सुनवाई करना और सजा सुनाना होता है। ये ट्रायल मिलिट्री लॉ के तहत होता है। इस लॉ में 70 तरह के क्राइम को लेकर सजा का प्रावधान है।
– कोर्ट मार्शल चार तरह का होता है…
जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) : जवान से लेकर अफसर तक सभी जवानों को दंडित करने का अधिकार होता है। जज के अलावा 5 से 7 लोगों का पैनल होता है। ये कोर्ट दोषी को अजीवन प्रतिबंध, सैन्य सेवा से बर्खास्त या फांसी की सजा तक दे सकती है। साथ ही इसमें युद्ध के दौरान अपनी पोस्ट छोड़कर भागने वाले सैन्य कर्मियों को भी फांसी देने का प्रावधान है।
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मार्शल (DCM) : सिपाही से जेसीओ लेवल के लिए होती है। दो या 3 मेंबर मिलकर इसकी सुनवाई करते हैं। अधिकतम 2 साल की सजा होती है।
समरी जनरल कोर्ट मार्शल (SGCM) : जम्मू कश्मीर जैसे प्रमुख फील्ड इलाके में अपराध करने वाले सैन्य कर्मियों के लिए होती है। स्पीडी ट्रायल होता है।
समरी कोर्ट मार्शल (SCM) : सबसे निचले तरह की सैन्य अदालत में केस चलता है। सिपाही से एनसीओ लेवल पर के लिए होता है। अधिकतम 2 साल की सजा देने का प्रावधान।
इन तीन अपराध में कोर्ट मार्शल करने का आर्मी कोर्ट को अधिकार नहीं
– आर्मी कोर्ट को दुष्कर्म, हत्या तथा गैर इरादतन मौत जैसे आत्महत्या के मामलों की सुनवाई का अधिकार नहीं है। सैन्य इलाके में ये मामले होने पर सेना इन्हें सिविल पुलिस को सौंपती है। हालांकि, अपने लेवल पर इसकी जांच सेना भी करती है।
– जम्मू कश्मीर या पूर्वोत्तर में सेना चाहे तो ऐसे मामले अपने हाथ में ले सकती है। इसमें त्वरित सुनवाई कर आरोपी को सजा देने का प्रावधान है।
दो चरणों के बाद होता है कोर्ट मार्शल
1. कोर्ट ऑफ इंक्वायरी
– सेना में किसी तरह का अपराध या अनुशासनहीनता होने पर सबसे पहले कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश जारी होते है। जांच में जवान या अफसर पर लगाए गए आरोप प्रमाणित होने और गंभीर मामला होने पर जांच अधिकारी तुरंत ही सजा दे सकता है। इसके अलावा बड़ा मामला होने पर केस समरी ऑफ एविडेंस को रिकमेंड
कर दिया जाता है।
2. समरी ऑफ एविडेंस
– प्रारंभिक जांच में दोष सिद्ध होने पर सक्षम अधिकारी मामले के और सबूत जुटाने के लिए जांच करता है। इस आधार पर तुरंत सजा देने का भी प्रावधान है। इस दौरान सभी लीगल दस्तावेज एकत्रित होते है। जांच पीठासीन अधिकारी तुरंत सजा या कोर्ट मार्शल की रिकमेंडेशन करता है।
3. कोर्ट मार्शल
– कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू होते ही आरोपी सैन्य अफसर या कार्मिक को आरोपी की प्रति देकर उसे अपना वकील नियुक्त करने का अधिकार दिया जाता है।
सजा के बाद निचली अदालत या एएफटी में चुनौती
– डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मार्शल में सुनाई गई सजा को लेकर सेशन कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। वहीं, कोर्ट मार्शल में सुनाए गए फैसले को आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में चुनौती दी जा सकती है।
– अंत में एएफटी के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है।
सिविल कोर्ट जैसे सभी नियम फॉलो होते हैं
– मिलिट्री कोर्ट में ऑफिसर्स की जूरी होती है। सिविल कोर्ट की तरह यहां भी आरोपी ऑब्जेक्शन ले सकता है। अपने सबूत पेश कर सकता है। वकील रख सकता है। कोर्ट मार्शल का प्रोसीजर बढ़ाने के लिए इसमें एक एडवोकेट जनरल होता है। यह आर्मी की लीगल ब्रांच का अफसर होता है।
– सिविल कोर्ट जैसे सभी नियम यहां फॉलो होते हैं। सभी सबूत देखने के बाद जूरी विचार-विमर्श करके तय करती है कि आरोप सही हैं या नहीं। कोर्ट मार्शल में मिली सजा के बाद आरोपी चाहे तो इसके खिलाफ चीफ ऑफ आर्मी या सेंट्रल गवर्नमेंट के पास भी अपील कर सकता है।
– हालांकि सेना एक्शन तभी लेती है तो जब दूसरे सारे ऑप्शन खत्म हो जाते हैं।
– फर्स्ट स्टेज में काउंसलिंग के जरिए सुधार की कोशिश की जाती है। इन्क्वायरी सालभर या इससे ज्यादा तक भी चल सकती है। आर्मी में अलग से जेल नहीं बनाई जाती बल्कि सजा मिलने पर कमरे में कैद कर दिया जाता है।
कौन-कौन सी सजा दी जा सकती है
– फांसी, उम्रकैद या एक तय समयावधि के लिए सजा सुनाई जा सकती है।
– सर्विसेज से बर्खास्त किया जा सकता है।
– रैंक कम करके लोअर रैंक और ग्रेड की जा सकती है।
– वेतन वृद्धि, पेंशन रोकी जा सकती है। अलाउंसेज खत्म किए जा सकते हैं। जुर्माना लगाया जा सकता है।
– नौकरी छीनी जा सकती है। फ्यूचर में मिलने वाले सभी तरह के बेनिफिट जैसे पेंशन, कैंटीन बेनिफिट, एक्स सर्विसमैन बेनिफिट खत्म किए जा सकते हैं।
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