कांग्रेस ने मंडी से आश्रय शर्मा को टिकट दिया, हिमाचल के मंत्री बोले- बेटे के खिलाफ प्रचार नहीं करूंगा


शिमला. कांग्रेस नेलोकसभा चुनाव के लिए हिमाचल प्रदेश की मंडी सीट से आश्रय शर्मा को उम्मीदवार बनाया है। उनके पिता अनिल शर्मा भाजपा विधायक और जयराम ठाकुर सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं। बेटे को कांग्रेस से टिकट मिलने पर मंत्री ने कहा कि वह संसदीय क्षेत्र में बेटे के खिलाफ प्रचार नहीं करेंगे। इस मामले पर भाजपा नेता इसे एक परिवार का मामला बताकर सवालों से कन्नी काट रहे हैं।

अनिल शर्मा ने कहा- “मेरे पिता सुखराम और बेटा आश्रय 25 मार्च को कांग्रेस में शामिल हो गए। मैंने पार्टी नेताओं कोपहले ही बता दिया था कि अगर कांग्रेस ने आश्रय को टिकट दिया तो मैं उसके खिलाफ प्रचार नहीं करूंगा। हालांकि, मैं मंडी को छोड़कर अन्य सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार करने के लिए तैयार हूं।”

प्रदेश अध्यक्ष बोले- यह परिवार का मामला है

इस बारे में सवाल पूछे जाने पर हिमाचल के भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा- “आप लोग क्यों इस मामले को लेकर पीछे पड़े हैं? यह उनके (अनिल शर्मा) परिवार का मामला है। हम देखेंगे कि हमें क्या करना है।”

भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो आश्रय कांग्रेस में गए

अनिल शर्मा 1993 और 2012 में वीरभद्र सिंह की सरकार में कांग्रेस के मंत्री थे। लेकिन अक्टूबर 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले वह पिता सुखरामके साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। आश्रय मंडी लोकसभा सीट से भाजपा का टिकट मांग रहे थे, लेकिन भाजपा ने मौजूदा सांसद राम स्वरूप पर ही भरोसा जताया। इसके बाद आश्रय अपने दादा के साथ फिर से कांग्रेस में चले गए।

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अनिल शर्मा, हिमाचल सरकार में उर्जा मंत्री हैं। -फाइल

मुख्यमंत्री बिप्लब की इस बार बड़ी परीक्षा


राजेश माली | अगरतला (त्रिपुरा).मुख्यमंत्री व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब कुमार देव सालभर के दौरान ही राजनीति की सबसे बड़ी परीक्षा दे रहे हैं। सरकार बनाने के बाद अब उन पर दोनों लोकसभा सीट पहली बार पार्टी की खाते में लाने की चुनौती है। मुकाबला कांग्रेस और लेफ्ट के साथ अपनी सरकार में शामिल इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) से है। उनके निशाने पर सीपीएम से ज्यादा कांग्रेस है। इसकी वजह है- सालभर पहले विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाई कांग्रेस का अचानक मुकाबले में आना। यह हुआ है त्रिपुरा पश्चिम से सुबल भौमिक और त्रिपुरा पूर्व से प्रज्ञा देव बर्मन की उम्मीदवारी से। भौमिक 18 मार्च तक भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष थे। हाथ पकड़ते ही कांग्रेस ने उन्हें टिकट थमा दिया। वे भाजपा से बूथ मैनेजमेंट से लेकर पन्ना प्रमुख का अनुभव लेकर आए हैं।

सीपीएम ने दोनों मौजूदा सांसद पश्चिम से शंकर प्रसाद दत्ता व पूर्व से जितेंद्र चौधरी को मौका दिया है। भाजपा का यहां मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस से है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 1.8% वोट ही ले सकी थी। एक साल में ऐसा क्या चमत्कार हो गया कि वह मुकाबले में आ गई? यह सवाल जब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रद्युत देव बर्मन से किया गया तो उनका जवाब था- ‘भाजपा ने जो वादे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया।’ प्रद्युत भी त्रिपुरा राजघराने से आते हैं। जनजाति के लिए आरक्षित त्रिपुरा पूर्व संसदीय क्षेत्र से उनकी बहन प्रज्ञा उम्मीदवार हैं। यहां भाजपा ने रेवती त्रिपुरा को उतारा है। टीचर रहे रेवती की जमीनी पकड़ मजबूत है।

त्रिपुरा पश्चिम में प्रतिमा भौमिक भाजपा उम्मीदवार है। करीब पांच साल भाजपा में रहकर फिर कांग्रेस में लौटे सुबल भौमिक उन्हें टक्कर देंगे। मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने भास्कर से कहा- यहां मोदीजी ही चेहरा हैं, क्या आपको कोई दूसरा दिखता है?

जातिगत समीकरण

  • त्रिपुरा पश्चिम : यह सीट अभी सीपीएम के पास है। 1996 से इसी पार्टी का कब्जा। यहां सबसे ज्यादा 60% बंगाली हिंदू वोटर हैं।
  • त्रिपुरा पूर्व : 1996 से यह सीट सीपीएम के पास। यहां जनजाति वोट सबसे ज्यादा 40% हैं।
  • मुद्दे क्या हैं?
  • केब : कांग्रेस नागरिकता संशोधन बिल (केब) को भुनाने की कोशिश में। मतदाताओं को बता रही है- बाहरी लोगों के आने से संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी।
  • मोदी : भाजपा मोदी के नाम पर लड़ रही है। कांग्रेस के निशाने पर भी मोदी ही।

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Ground Report from Tripura

स्मृति का प्रियंका पर तंज- कांग्रेस नेता अयोध्या तो जाते हैं, वोट कटने के डर से मंदिर में माथा नहीं टेकते


कोलार/गाजियाबाद. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने रविवार को कर्नाटक के कोलार में चुनावी जनसभा की। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की अयोध्या यात्रा को लेकर निशाना साधा। स्मृति ने कहा, ”कांग्रेस नेता अयोध्या तो जाते हैं, लेकिन वोट कटने के डर सेमंदिर में भगवान के दर्शन नहीं करते। उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी के नेताओं को डर रहता है कि अगर उन्होंने भगवान को प्रणामकिया तो उनके वोट कट जाएंगे।”

उधर, उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद में रैली के दौरान कहा कि प्रियंका ने राम जन्मभूमि को विवादित बताकर कांग्रेस को 44 सीटों से चार पर लाने का बीड़ा उठाया है।

आज राम का गुणगान कर रही कांग्रेस – स्मृति

स्मृति ने कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनमें भगवान राम के अस्तित्व को लेकर कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। उन्होंने कहा कि था कि भगवान राम का कोई वजूद नहीं है। वहीं, आज वे उनका गुणगान कर रहे हैं।

प्रियंका ने वर्ग विशेष को खुश रखने के लिएराम जन्मभूमि को विवादित बताया- योगी

योगी ने कहा कि राम जन्मभूमि को विवादित बताने वाली प्रियंका बताएं कि जमानत पर चल रहे अपने परिवार से वह मिलती हैं कि नहीं। राम जन्मभूमि हिन्दू आस्था का प्रतीक है, देश और दुनिया अयोध्या को राम जन्मभूमि के रूप में देखती है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने अपने निर्णय में यह माना है कि जहां रामलला विराजमान हैं, वहीं रामजन्मभूमि है, तो यह विवादित जगह कैसे हो गई?

उन्होंने कहा कि प्रियंका राम जन्मभूमि सिर्फ इसलिए नहीं गईं, क्योंकि उनको लगता है कि रामलला के दर्शन से एक वर्ग विशेष उनसे नाराज हो जाएगा। जिसकी वजह से वह हिन्दू आस्था के विषय को विवादित बता रही हैं। योगी ने कहा, अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद की अगर सबसे बड़ी कोई बाधा है, तो वह कांग्रेस, सपा और बसपा है।

अयोध्यादौरे पर गई थीं प्रियंका

प्रियंका हाल ही में उप्र के तीन दिन के दौरे पर अयोध्या पहुंची थीं। तीसरे दिन वे अयोध्या भी गईं थीं। इस दौरान उन्होंने हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन तो किए थे, लेकिन वे राम लला के मंदिर में नहीं गई थीं।

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स्मृति ईरानी।

टिहरी गढ़वाल ने उत्तराखंड को दी थी राज्य की पहली महिला सांसद


टिहरी गढ़वाल.उत्तराखंड को पहली महिला सांसद 2012 के उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह के रूप में मिली थीं। 2014 के आम चुनाव में वह फिर जीतीं और 2019 के महामुकाबले के लिए पार्टी ने एक बार फिर उन पर भरोसा जताया। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस का ही दबदबा रहा है। कभी कांग्रेस की ओर से विजय बहुगणा भाजपा को टक्कर देते थे, पर अब वह भाजपा मेंहैं। इस बार कांग्रेसने पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को मैदान में उतारा है।

10 बार कांग्रेस 7 बार भाजपा जीती
टिहरी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र उत्तराखंड के देहरादून, टिहरी गढ़वाल और उत्तरकाशी जिलों में फैला है। टिहरी गढ़वाल सीट की राजनीति भाजपा और कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घुमती रही है। चुनाव और उपचुनाव मिलाकर यहां 18 बार मतदान हुआ, इसमें जनता ने 10 बार कांग्रेस को चुना, जबकि 7 बार भाजपा को मौका मिला। 1977 में इस सीट पर जनता पार्टी को जीत मिली थी।

जानिए,उत्तराखंड की पहली महिला सांसद को
टिहरी गढ़वाल सीट पर भाजपा की माला राज्य लक्ष्मी शाह मौजूदा सांसद हैं। माला राज्यलक्ष्मीका जन्म नेपाल की राजधानी काठमांडू में हुआ था।उत्तराखंड भाजपा की प्रमुख महिला नेत्रियों में शुमार राज्य लक्ष्मी शाह उत्तराखंड की पहली महिला लोकसभा सांसद हैं। वे टिहरी के पूर्व शाही परिवार के वंशज मानवेंद्र शाह की बहू हैं। मानवेंद्र शाह ने कांग्रेस और भाजपा के टिकटों पर इस सीट पर रिकॉर्ड आठ बार जीत हासिल की।

क्षेत्र का राजनीतिक गणित
टिहरी गढ़वाल लोकसभा सीट में विधानसभा की 14 सीटें आती हैं। चकराता, देहरादून कैंट, मसूरी, रायपुर, राजपुर रोड़, साहसपुर, विकासनगर, धनौल्टी, घंसाली, प्रतापपुर, टिहरी, गंगोत्री, और पुरोला। 2017 के विधानसभा चुनाव में पुरोला और चकराता सीट पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। धनौल्टी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी।बाकी 11 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया।

19 लाख से अधिक आबादी 13 लाख से ज्यादा वोटर
2011 की जनगणना के मुताबिक यहां की जनसंख्या 19 लाख 23 हजार 454 थी। यहां की आबादी का लगभग 62 फीसदी आबादी गांवों में रहती है, जबकि 38 फीसदी हिस्सा शहरों में निवास करती है। इलाके में अनुसूचित जाति का आंकड़ा 17.15 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति का हिस्सा 5.8 प्रतिशत है। पिछले लोकसभा चुनाव में यहां कुल 7 लाख 12 हजार 39 पुरुष मतदाता थे, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 6 लाख 40 हजार 806 थी। कुल 13 लाख 52 हजार 845 मतदाता थे। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के मुताबिक इस सीट पर 14 लाख 51 हजार 457 मतदाता हैं।

टिहरी गढ़वाल लोकसभा:

साल जीते पार्टी
1952 कमलेंदुमति शाह कांग्रेस
1957 मानबेंद्र शाह कांग्रेस
1962 मानबेंद्र शाह कांग्रेस
1967 मानबेंद्र शाह कांग्रेस
1971 परिपूर्णानंद पेनुअली कांग्रेस
1977 तर्पण सिंह नेगी जनता पार्टी
1980 तर्पण सिंह नेगी कांग्रेस
1984 ब्रह्म दत्त कांग्रेस
1989 ब्रह्म दत्त कांग्रेस
1991 मानबेंद्र शाह भाजपा
1996 मानबेंद्र शाह भाजपा
1998 मानबेंद्र शाह भाजपा
1999 मानबेंद्र शाह भाजपा
2004 मानबेंद्र शाह भाजपा
2007(उप चुनाव) विजय बहुगुणा कांग्रेस
2009 विजय बहुगुणा कांग्रेस
2012(उपचुनाव) माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा
2014 माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा

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भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी शाह और कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह।

जानिए क्या होता है आर्मी के कोर्ट मार्शल में, जिससे जूझ रहे थे मेजर गोगोई, आसान नहीं इसका सामना करना


न्यूज डेस्क। मेजर लीतुल गोगोई के खिलाफ चल रहा कोर्ट मार्शल पूरा हो चुका है। अब उनकी वरिष्ठता में कमी की जा सकती है। पिछले साल श्रीनगर की एक महिला के साथ दोस्ती बढ़ाने के आरोप में आर्मी गोगोई के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई कर रही थी। जानिए आखिर क्या होता है कोर्ट मार्शल। इस बारे में जानने के लिए हमने कई कोर्ट मार्शल कर चुके आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल के मेंबर और लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एचएस पनाग से बात की।

क्या होता है कोर्ट मार्शल

– यह एक तरह की कोर्ट होती है। जो खास आर्मी कर्मचारियों के लिए होती है। इसका काम आर्मी में अनुशासन तोड़ने या अन्य अपराध करने वाले आर्मी मैन पर केस चलाना, उसकी सुनवाई करना और सजा सुनाना होता है। ये ट्रायल मिलिट्री लॉ के तहत होता है। इस लॉ में 70 तरह के क्राइम को लेकर सजा का प्रावधान है।

– कोर्ट मार्शल चार तरह का होता है…

जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) : जवान से लेकर अफसर तक सभी जवानों को दंडित करने का अधिकार होता है। जज के अलावा 5 से 7 लोगों का पैनल होता है। ये कोर्ट दोषी को अजीवन प्रतिबंध, सैन्य सेवा से बर्खास्त या फांसी की सजा तक दे सकती है। साथ ही इसमें युद्ध के दौरान अपनी पोस्ट छोड़कर भागने वाले सैन्य कर्मियों को भी फांसी देने का प्रावधान है। ​
डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मार्शल (DCM) : सिपाही से जेसीओ लेवल के लिए होती है। दो या 3 मेंबर मिलकर इसकी सुनवाई करते हैं। अधिकतम 2 साल की सजा होती है। ​
समरी जनरल कोर्ट मार्शल (SGCM) : जम्मू कश्मीर जैसे प्रमुख फील्ड इलाके में अपराध करने वाले सैन्य कर्मियों के लिए होती है। स्पीडी ट्रायल होता है। ​
समरी कोर्ट मार्शल (SCM) : सबसे निचले तरह की सैन्य अदालत में केस चलता है। सिपाही से एनसीओ लेवल पर के लिए होता है। अधिकतम 2 साल की सजा देने का प्रावधान।

इन तीन अपराध में कोर्ट मार्शल करने का आर्मी कोर्ट को अधिकार नहीं

– आर्मी कोर्ट को दुष्कर्म, हत्या तथा गैर इरादतन मौत जैसे आत्महत्या के मामलों की सुनवाई का अधिकार नहीं है। सैन्य इलाके में ये मामले होने पर सेना इन्हें सिविल पुलिस को सौंपती है। हालांकि, अपने लेवल पर इसकी जांच सेना भी करती है।

– जम्मू कश्मीर या पूर्वोत्तर में सेना चाहे तो ऐसे मामले अपने हाथ में ले सकती है। इसमें त्वरित सुनवाई कर आरोपी को सजा देने का प्रावधान है।

दो चरणों के बाद होता है कोर्ट मार्शल

1. कोर्ट ऑफ इंक्वायरी
– सेना में किसी तरह का अपराध या अनुशासनहीनता होने पर सबसे पहले कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश जारी होते है। जांच में जवान या अफसर पर लगाए गए आरोप प्रमाणित होने और गंभीर मामला होने पर जांच अधिकारी तुरंत ही सजा दे सकता है। इसके अलावा बड़ा मामला होने पर केस समरी ऑफ एविडेंस को रिकमेंड
कर दिया जाता है।

2. समरी ऑफ एविडेंस
– प्रारंभिक जांच में दोष सिद्ध होने पर सक्षम अधिकारी मामले के और सबूत जुटाने के लिए जांच करता है। इस आधार पर तुरंत सजा देने का भी प्रावधान है। इस दौरान सभी लीगल दस्तावेज एकत्रित होते है। जांच पीठासीन अधिकारी तुरंत सजा या कोर्ट मार्शल की रिकमेंडेशन करता है।

3. कोर्ट मार्शल
– कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू होते ही आरोपी सैन्य अफसर या कार्मिक को आरोपी की प्रति देकर उसे अपना वकील नियुक्त करने का अधिकार दिया जाता है।

सजा के बाद निचली अदालत या एएफटी में चुनौती

– डिस्ट्रिक्ट कोर्ट मार्शल में सुनाई गई सजा को लेकर सेशन कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। वहीं, कोर्ट मार्शल में सुनाए गए फैसले को आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल (एएफटी) में चुनौती दी जा सकती है।

– अंत में एएफटी के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है।

सिविल कोर्ट जैसे सभी नियम फॉलो होते हैं

– मिलिट्री कोर्ट में ऑफिसर्स की जूरी होती है। सिविल कोर्ट की तरह यहां भी आरोपी ऑब्जेक्शन ले सकता है। अपने सबूत पेश कर सकता है। वकील रख सकता है। कोर्ट मार्शल का प्रोसीजर बढ़ाने के लिए इसमें एक एडवोकेट जनरल होता है। यह आर्मी की लीगल ब्रांच का अफसर होता है।

– सिविल कोर्ट जैसे सभी नियम यहां फॉलो होते हैं। सभी सबूत देखने के बाद जूरी विचार-विमर्श करके तय करती है कि आरोप सही हैं या नहीं। कोर्ट मार्शल में मिली सजा के बाद आरोपी चाहे तो इसके खिलाफ चीफ ऑफ आर्मी या सेंट्रल गवर्नमेंट के पास भी अपील कर सकता है।

– हालांकि सेना एक्शन तभी लेती है तो जब दूसरे सारे ऑप्शन खत्म हो जाते हैं।

– फर्स्ट स्टेज में काउंसलिंग के जरिए सुधार की कोशिश की जाती है। इन्क्वायरी सालभर या इससे ज्यादा तक भी चल सकती है। आर्मी में अलग से जेल नहीं बनाई जाती बल्कि सजा मिलने पर कमरे में कैद कर दिया जाता है।

कौन-कौन सी सजा दी जा सकती है
– फांसी, उम्रकैद या एक तय समयावधि के लिए सजा सुनाई जा सकती है।
– सर्विसेज से बर्खास्त किया जा सकता है।
– रैंक कम करके लोअर रैंक और ग्रेड की जा सकती है।
– वेतन वृद्धि, पेंशन रोकी जा सकती है। अलाउंसेज खत्म किए जा सकते हैं। जुर्माना लगाया जा सकता है।
– नौकरी छीनी जा सकती है। फ्यूचर में मिलने वाले सभी तरह के बेनिफिट जैसे पेंशन, कैंटीन बेनिफिट, एक्स सर्विसमैन बेनिफिट खत्म किए जा सकते हैं।

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court martial of major gogoi complete

मोदी ने कहा- पाक को छोड़ दो वह अपनी मौत मरेगा, हम आगे बढ़ने पर ध्यान दें


नई दिल्ली.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के तालकटोरा मैदान से’मैं भी चौकीदार’ अभियानके तहत समर्थकों को संबोधित किया। इस दौरानमोदी ने कहा, हमने बहुत सारा समय भारत पाकिस्तान करने में ही गुजार दिया। अरे वो अपनी मौत मरेगा उसे छोड़ दो, हमे आगे बढ़ना है बस इसी पर हमारा ध्यान रहना चाहिए। वायुसेना की एयरस्ट्राइक को लेकर उन्होंनेकहा,पाकिस्तान बड़ी मुसीबत में है, अगर वो कहे कि बालाकोट में कुछ हुआ था, तो पूरी दुनिया को पता चल जाएगा कि उसके यहां आतंकी कैम्प चलते हैं।

मोदी ने इस दौरान कांग्रेस पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, ”2014 चुनाव के दौरान मैंनेलोगों सेकहा था कि आप दिल्ली का जो दायित्व मुझे दे रहे हैं मतलब आप एक चौकीदार बैठा रहे हैं।देश का सामान्य आदमी टैक्स देता है। अलग-अलग प्रकार से धनराशि देता है और इस पर देश के गरीबों का हक होता है। मैं कभी भी इस पैसे पर कोई पंजा नहीं पड़ने दूंगा।”

चौकीदार एक स्पिरिट है- मोदी

  • मोदी ने कहा,”चुनाव की गर्माहट में यह एक ऐसा अवसर है, जिस पर सबकी निगाहें होना स्वाभाविक है। 2013-14 में जब लोकसभा का चुनाव चल रहा था, मैं देश के लिए नया था। ज्यादातर मेरे आलोचकों ने मेरी प्रसिद्धि ज्यादा की थी। मैं उनका तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूं। क्योंकि उन्हीं के कारण मेरे लिए देश में जिज्ञासा पैदा हुई थी कि आखिर यह इंसान है कौन।”
  • ”एक चौकीदार के तौर पर मैं अपनी जिम्मेदारी निभाऊंगा। लेकिन कुछ लोगों की बौद्धिक मर्यादाएं रहती हैं उनकी सोच भी बड़ी मर्यादित होती है। इसलिए उनके मन में चौकीदार की सोच पारंपरिक होती है। यह उनकी मर्यादित सोच का परिणाम है।”
  • ”चौकीदार की न कोई व्यवस्था है। चौकीदार न किसी यूनिफॉर्म की पहचान है। चौकीदार किसी चौखट में भी नहीं बंधा है। चौकीदार एक स्पिरिट है, एक भावना है। गांधीजी कहते थे कि जो भी हमें दायित्व मिला है। जिन चीजों को हम संभालते हैं। चाहे वो समय हो या व्यवस्था हो। हमें एक ट्रस्टी के तौर पर इस्तेमाल करना चाहिए। हमें उन्हें संभालना चाहिए।”

मोदी से सवाल-जवाब

देवेंद्र फडणवीस की ओर से सवाल:बालाकोट में जो आपने किया वो गजब हुआ और सबका सीना गर्व से चौड़ा हो गया। ऐसा लग रहा है कि भारत ने सालों बाद अपना दम दिखाया। आपको यह फैसला लेने में प्रेरणा कहां से मिली? आपके मन में यह सोच नहीं आई कि अगर इस ऑपरेशन में गड़बड़ी हो जाती तो आपके राजनीतिक करियर का क्या होता?

मोदी:

  • बालाकोट मैंने नहीं, देश के जवानों ने किया है। हमारे सुरक्षाबलों ने किया है। हम सबकी तरफ से उनको सैल्यूट। जहां तक निर्णय का सवाल है-अगर मोदी अपने राजनीतिक भविष्य का सोचता तो मोदी नहीं होता। अपने राजनीतिक हित और भलाई को नजर में रखकर फैसले करने होते तो मोदी की इस देश को कोई जरूरत नहीं होती। मोदी के लिए देश सबसे ऊपर है। सवा सौ करोड़ सबसे ऊपर हैं।मेरा अपना वैसै भी है क्या? आगे पीछेकोई चिंता नहीं रखी है।
  • राजनीति में मुझ जैसे अनजान व्यक्ति को जनता ने पूर्ण बहुमत दिया है। राजनीतिक दलों को भी पता नहीं है। पूर्ण बहुमत वाली सरकार अपने आप में देश की बहुत बड़ी ताकत होती है। आज दुनिया में हिंदुस्तान की बात सुनाई देती है इसकी बहुत बड़ी वजह पूर्ण बहुमत की सरकार है। आज कोई नेता गले मिलता, गले पड़ता नहीं है… (ठहाके लगे) तो उसे मोदी की नहीं पूर्ण बहुमत की सरकार की ताकत दिखाई देती है।
  • तीसरी बात यह निर्णय मैं इसलिए कर पाया क्योंकि मुझे मेरी सेना पर भरोसा है। उन्हें छूट दे पाया क्योंकि मुझे उनके अनुशासन पर भरोसा है। मुझे पता है कि वो ऐसा काम कभी नहीं करेंगे कि मेरे देश को कभी नीचा देखना पड़े। इसलिए उनके हाथ में इतना बड़ा निर्णय देने की मेरे अंदर ताकत थी।

शिवराज सिंह चौहान की ओर सेशकुंतला सिंह परिहार ने भ्रष्टाचार पर सवाल किया

मोदी:

  • जिन्होंने देश लूटा है उन्हें पाई-पाई लौटानी पड़ेगी। आपने देखा होगा कि 2014 के बाद से आपकी मदद से मैं इन लोगों को जेल के दरवाजे तक तो ले गया हूं। कोई जमानत पर है। लोग चक्कर काट रहे हैं। नए अफसरों की मदद से कागज भी हाथ लगने लगे हैं। 2014 के बाद से मैं जेल के दरवाजे तक ले गया हूं।
  • 2019 के बाद यह जेल के अंदर होंगे। यह जो भागते हैं न, उन्हें अब डर लग रहा है। कुछ लोग विदेश की अदालत में कहते हैं कि हम उनमें रह नहीं सकते। हम उन्हें महल दें क्या?अरे उन्हें बता दो कि अंग्रेजों ने गांधीजी को जिस जेल में रखा, उससे अच्छा हम इन्हें नहीं देंगे न।

बेंगलुरु सेराकेश प्रसाद (आईटी प्रोफेशनल) का सवाल: सालों से हम सुन रहे हैं कि भारत विकासशील देश है? हम कब यह सुनेंगे कि भारत विकसित हो गया?

मोदी:

  • ये बात सही है कि बहुत देर हो चुकी है। देश आजाद होने के बाद हमने इसी मिजाज से भारत को सही दिशा दी होती तो आज स्थिति दूसरी होती। हमसे बाद में आजाद हुए देश बेहतर स्थिति में हैं। 125 करोड़ लोगों का सपना होना चाहिए कि हमें बैकवर्ड की श्रेणी में नहीं आना।
  • 2014 में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में 11वें नंबर पर थे। लेकिन आज हम 6वें नंबर पर आ गए हैं। हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। ऐसा हमने बिना कोई शोरगुल मचाए हुए किया है। हम दुनिया की समृद्ध शक्तियों के साथ जुड़े। हाल ही में हमारी अंतरिक्ष में ताकत बढ़ी। विकसित राष्ट्र के रूप में जगह पाने के लिए भारत के पास सबकुछ है।

राजस्थान केचित्तौड़गढ़से सवाल: मिशन शक्ति के बारे में कांग्रेस कह रही थी कि यह हम पहले कर चुके हैं और यह कोई नई बात नहीं है?

मोदी:

  • मिशन शक्ति जैसी चीजें चुनाव के चश्मे से देखी जा रही है। हमसे पहले तीन देशों ने यह काम किया। हम चौथे हैं। मान लीजिए कोई अपनी ताकत का इस्तेमाल कर हमारी सैटेलाइट गिरा दे, तो हमारी कई चीजें बंद हो जाएंगी। अब इसके लिए क्या वैज्ञानिकों को इंतजार करना चाहिए?
  • एक नेता ने कहा कि यह चीज हमारे पास बहुत पहले से थी, लेकिन हमने इसे दबाकर रखा। क्या ऐसा हो सकता है? जब अमेरिका, रूस, चीन ने इसे डंके की चोट पर किया तो हमें छुपना क्यों? अब जो लोग आरोप लगा रहे हैं उन्हें साबू का इस्तेमाल करना चाहिए। यानी सामान्य बुद्धि। आप टेस्ट न करो, कहते रहो हमारे पास ताकत है। तो यह कैसे साबित होगी?

योगी आदित्यनाथ की ओर से राजेश वाल्मिकी आगरा से:कांग्रेस रोजाना नए-नए झूठ बोलती है, एक झूठ सौ-सौ बार बोलती है। पिछले पांच सालों में उन्होंने झूठ ही बोला है। उनका झूठ बहुत मजबूत है, इसको हम कैसे एक्सपोज करें?

मोदी:

  • कांग्रेस का झूठ बड़ा सीजनल होता है। जैसे पतंग का सीजन होता है। पटाखे का सीजन होता है। सीजन के हिसाब से वो झूठ बोलते हैं, फिर प्रचारित करते हैं। उनका झूठ का इकोसिस्टम है। उन्होंने दिल्ली में चुनाव के दौरान झूठ उड़ा दिया था कि चर्च पर हमले हो रहे हैं।
  • बिहार में उन्होने कहा था कि मोदी आ रहा है आरक्षण चला जाएगा। संविधान खतरे में पड़ जाएगा। आरक्षण हटाने की बात छोड़ दीजिए भीमराव अंबेडकर का किसी ने सबसे ज्यादा सम्मान किया तो हमने किया है। ओबीसी बिल को पिछले तीन-तीन सत्रों से वे लटकाए रहे। अभी हम सामान्य गरीब वर्ग के लिए आरक्षण लाए। इसमें न पुतले जले न किसी का हक मारा गया। लेकिन उन्होंने झूठ चलाया- आरक्षण चला जाएगा।
  • जैसे ही कोई चुनाव या घटना पूरी हो गई यह अवॉर्ड वापसी गैंग फिर जाकर सो जाती है। उनके झूठ के उम्र भी ज्यादा नहीं है। कुछ झूठ ऐसे हैं जिन्हें वो खींच-खींचकर लंबा कर रहे हैं। आप सच बताते चलें, सच की ताकत इतनी होती है कि झूठ उसके आगे नहीं टिक पाएगा। जो झूठ बोलता है उसकी एक शर्त होती है कि उसकी मेमोरी पावर तेज होनी चाहिए। उसको आंकड़े याद होने चाहिए। उनकी एक फैक्ट्री है झूठ वाली जो उन्हें बता देती है कि झूठ बोलिए, लेकिन उनकी मेमोरी इतनी कमजोर है कि वो बार-बार आंकड़े बदल देते हैं।

यह कार्यक्रम दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में शाम 5 बजे शुरू हुआ। यहां 5 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए। इसके अलावादेश के अलग-अलग शहरों में प्रधानमंत्री से संवाद के लिए 500 बूथ भी बनाए गए। इन पर भाजपा के वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी और केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे।

राहुल के ‘चौकीदार चोर है’ नारे के जवाब में मोदी ने शुरू किया अभियान

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘चौकीदार चोर है’ नारे के जवाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 मार्च को इस अभियान की शुरुआत की थी। इसके बाद भाजपा नेताओं ने अपने ट्विटर अकाउंट नाम के आगे ‘चौकीदार’ शब्द जोड़ लिया था।

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Lok Sabha Chunav 2019:Narendra Modi Main Bhi Chowkidar Campaign Promotion On VC amidst Lok Sabha Election 2019

आधार से पैन जोड़ने की अवधि 6 महीने बढ़ी, 30 सितंबर तक कर सकेंगे लिंक


नई दिल्ली. सरकार ने आधार नंबर को पैन कार्ड से लिंक करने की अंतिम तिथि छह महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2019 कर दीहै। इससे पहले यह अवधि 31 मार्च तक ही थी। आयकर रिटर्न भरने के लिए अपने आधारको पैन से जोड़ना जरूरी है। ऐसा किए बिना आयकर रिटर्न नहीं भरा जा सकता है।

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Govt extends deadline for linking PAN with Aadhaar by 6 months till September 30, 2019

शत्रुघ्न ने कहा- कांग्रेस में जाने का फैसला सोच-समझकर लिया, लालू ने भी दी थी सलाह


हैदराबाद. भाजपा छोड़ने का ऐलान कर चुके सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने रविवार को कहा कि राजद अध्यक्ष लालू यादव की सलाह पर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला लिया। टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल के अलावा अन्य पार्टियों से भी निमंत्रण मिला था। लेकिन, उन्होंने पहले ही यह साफ कर दिया था कि परिस्थिति चाहे जो भी हो, वह पटना साहिब से ही चुनाव लड़ेंगे।

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Loksabha Election 2019 news and updates 31 March

बस में बैठकर पार्टी के लिए प्रचार कर रही थी बड़े नेता की बहन, तभी भीड़ में से एक शख्स ने पकड़ लिया उसका हाथ


नेशनल डेस्क (आंध्र प्रदेश). लोकसभा चुनावों की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे राजनीतिक दलों का प्रचार-प्रसार भी तेज होता जा रहा है। सभी पार्टियों के नेता रैली, रोड शो, पब्लिक मीटिंग और घर-घर जाकर लोगों से वोट मांग रहे हैं। इसी दौरान उमड़ रही भीड़ का फायदा चोर भी जमकर उठा रहे हैं। आमतौर पर चोर रैली में आए लोगों को अपना निशाना बनाते हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश में तो एक चोर ने भीड़ का फायदा उठाते हुए राज्य के प्रमुख नेता की बहन की अंगूठी ही पार कर दी। ये घटना YSR कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला के साथ हुई, जब वे एक बस में बैठकर प्रचार के दौरान लोगों से हाथ मिला रही थीं।

शर्मिला के साथ की झूमाझटकी…

– ये घटना हाल ही में गुंटूर जिले के मंगलगिरि शहर में हुई। जहां आंध्र प्रदेश के प्रमुख नेता और YSR कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी की बहन YS शर्मिला पार्टी के लिए प्रचार कर रही थीं। इस दौरान वे चलती बस में बैठकर पार्टी समर्थक लोगों का अभिवादन करते हुए उनसे हाथ मिला रही थीं।
– जब वे लोगों से हाथ मिला रही थीं, इसी दौरान भीड़ में से एक शख्स ने उनका दायां हाथ पकड़ लिया और उसमें पहनी हुई अंगूठी निकालने की कोशिश करने लगा। चोर की हिम्मत इतनी ज्यादा थी कि उसने सबके सामने अंगूठी निकालने के लिए खींचतान भी की और अंगूठी निकालने के बाद ही दम लिया।
– शर्मिला ने जैसे-तैसे आरोपी से अपना हाथ छुड़वा लिया, और फिर उसमें मौजूद अंगूठी को देखा। लेकिन तब तक एक अंगूठी जा चुकी थी। हालांकि उन्होंने चोर को पकड़वाने की कोशिश नहीं की। वहीं हाथ छुड़ाने के कुछ सेकंड्स बाद वे फिर प्रचार में जुट गईं।
– बता दें कि आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटों के साथ ही विधानसभा के लिए भी 11 अप्रैल को मतदान होगा।

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Viral Video of Thief who Steal YS Sharmila Ring in Election Campaign


Viral Video of Thief who Steal YS Sharmila Ring in Election Campaign

यहां चुनाव प्रचार के दौरान हुई लूट, हाथ से गोल्ड की रिंग निकाल कर ले गया एक शक्स



नेशनल डेस्क। आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला के साथ लूट की घटना देखने को मिली। चुनाव प्रचार के दौरान जगन मोहन रेड्डी की बहन शर्मिला के हाथों से भीड़ में से एक शख्स उनके दाएं हाथ की उंगली से अंगूठी निकाल कर ले गया। वीडियो में शर्मिला बस पर सवार दिखाई दे रही हैं। इस बीच शर्मिला गेट पर अपने प्रशंसकों से हाथ मिलाती दिख रही हैं। इस बीच भीड़ में शामिल एक शख्स हाथ मिलाते हुए शर्मिला के हाथों से जबरदस्ती अंगूठी निकालता दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो वायरल हो रहा है।

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andhra pradesh ysr chief jagan mohan reddys sister ring snatch by man in crowd